जयपुर, 4 जून (आईएएनएस)। राजस्थान में दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है।
दोनों दलों में आलाकमान यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि उनकी पार्टी में सब ठीक है, लेकिन वास्तव में चीजें ठीक नहीं हैं। कांग्रेस में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट चल रहा है जबकि भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को कई महत्वपूर्ण संगठनात्मक आयोजनों में नहीं बुलाया जा रहा है।
इन मतभेदों के बावजूद दोनों दल विजयी होने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और चुनाव जीतने के प्रति आश्वस्त हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार करते हुए लगातार राज्य का दौरा करते नजर आ रहे हैं। भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी जहां केंद्र सरकार की योजनाओं से लाभान्वित हो रही महिलाओं के माध्यम से मतदाताओं के घर-घर पहुंचने की योजना बना रही है, वहीं कांग्रेस भी उसी रास्ते पर जाती दिख रही है।
सीएम गहलोत प्रदेश भर में आयोजित अपने बहुप्रचारित महंगाई राहत शिविरों में हितग्राहियों से मिल रहे हैं। लाखों की संख्या में लोग इन शिविरों में 500 रुपये में गैस सिलेंडर और 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली पाने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त कर रहे हैं।
दरअसल, इस रक्षा बंधन पर लाखों महिलाओं को मुफ्त मोबाइल देने की योजना है।
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने पहला वोट मोदी को अभियान चलाया था। इस बार फिर भाजपा की नजर नए वोटरों पर है। उनसे संपर्क किया जा रहा है और बूथ स्तर पर नए मतदाताओं को जोड़ने की योजना पर काम चल रहा है।
राजस्थान में कांग्रेस सरकार आईएएस, आरएएस और सीईटी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग का वादा कर युवा मतदाताओं को लुभा रही है।
इसके लिए 10 हजार से ज्यादा छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। राज्य सरकार का लक्ष्य इस महत्वाकांक्षी योजना के माध्यम से पांच लाख छात्रों को जोड़ना है।
अंतिम समय में दोनों पार्टियां बूथ कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही हैं। कांग्रेस में सीएम गहलोत जहां दूर-दराज के मतदाताओं से जुड़ने के लिए यात्रा कर रहे हैं, वहीं भाजपा अपने पन्ना प्रमुख मॉडल को अंतिम मतदाता तक पहुंचाने के लिए कमर कस रही है।
भाजपा इस पहल में काफी मजबूत है क्योंकि वह इस पर पहले से काफी काम कर चुकी है जबकि कांग्रेस अभी भी प्रमुख पदों पर नेताओं की भर्ती पर काम कर रही है। पार्टी ने सचिन पायलट के विद्रोह के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भंग कर दिया था। इसके बाद से कई अहम पद खाली पड़े हैं।
दोनों पार्टियां लाभार्थी संपर्क अभियानों को लेकर भी काफी मेहनत करती नजर आ रही हैं। जहां गहलोत महंगाई राहत शिविरों के लाभार्थियों से जुड़ने के लिए दौरे कर रहे हैं, वहीं भाजपा उन लोगों को भुना रही है जिन्हें मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं का लाभ मिला है।
जहां गहलोत अपनी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के साथ चुनाव जीतने को लेकर आश्वस्त हैं, वहीं भाजपा राज्य में दूसरी सबसे बड़ी बेरोजगारी दर, कानून और व्यवस्था की स्थिति और गहलोत बनाम पायलट जैसे मुद्दों को उठाकर जीत को लेकर उत्साहित है जिसके बारे में उसका कहना कि इससे विकास के मामले में राज्य बेहद निचले स्तर पर चला गया है।
–आईएएनएस
एकेजे