शिमला, 5 जून (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने सोमवार को घोषणा की कि राज्य सरकार प्लास्टिक का विकल्प खोजने के लिए एक साल के भीतर एक नीति बनाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार उद्योगों को भी प्लास्टिक का विकल्प तलाशने के लिए प्रोत्साहित करेगी और उसके बाद धीरे-धीरे इसके इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देगी।
यहां विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राज्यस्तरीय समारोह की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने सड़क निर्माण में प्लास्टिक के उपयोग पर जोर दिया और शिक्षा पाठ्यक्रम में संस्कृति और पर्यावरण उन्मुख पाठ्यक्रमों को शामिल करने पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सक्रिय रूप से पर्यावरण को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के विकल्पों की तलाश कर रही है, और लोगों से पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण को कम करने में सरकार के प्रयासों में सहयोग करने का आग्रह किया।
उन्होंने मौसम के बदलते मिजाज और पूरे देश में बढ़ते जल संकट जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर प्रकाश डाला, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि कई राज्य हिमाचल से अतिरिक्त पानी की मांग कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने पहले बजट पर प्रकाश डालते हुए हिमाचल प्रदेश के हरित भविष्य को आकार देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संबंधी मुद्दों को हल करने के लिए वर्तमान सरकार ने प्लास्टिक के एकल उपयोग का मुकाबला करने पर ध्यान देने के अलावा नवीकरणीय ऊर्जा पहलों के लिए धन आवंटित करके हरित बजट पेश किया है।
उन्होंने कहा, अगले तीन वर्षो में सरकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा और उनकी जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को ले लिया जाएगा। राज्य में सौर और पवन ऊर्जा के उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने में राज्य के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से जलविद्युत परियोजनाओं में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश टिकाऊ ऊर्जा पहलों में अग्रणी के रूप में अपनी भूमिका के लिए प्रतिबद्ध है।
जीआईजेड के क्लस्टर प्रमुख मोहम्मद अल खवाद ने इस बात पर जोर दिया कि हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है, जिसके परिणाम आज तेजी से स्पष्ट हो रहे हैं।
जीआईजेड हिमाचल प्रदेश में चार प्रमुख परियोजनाओं के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। ये परियोजनाएं वन प्रबंधन, आद्र्रभूमि प्रबंधन, जल सुरक्षा और जल प्रबंधन पर केंद्रित हैं।
इन पहलों के माध्यम से जीआईजेड का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना और क्षेत्र में स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
संयुक्त राष्ट्र की सद्भावना दूत दीया मिर्जा ने विभिन्न खाद्य पदार्थो के सेवन से प्लास्टिक कचरे के प्रतिकूल प्रभावों और मानव रक्त प्रवाह में इसकी उपस्थिति पर प्रकाश डाला।
इस खतरे से निपटने के लिए सरकार और उद्योगों को मिलकर सोचना होगा।
उन्होंने सामूहिक जिम्मेदारी के साथ काम करने का आह्वान किया, प्लास्टिक का विकल्प जोड़ना समय की मांग है।
–आईएएनएस
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