बेंगलुरू, 25 दिसम्बर (आईएएनएस)। कर्नाटक ने इतिहास में कभी भी ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं देखी है, जैसा कि वर्ष 2022 में हुआ। ऐसे में आगामी चुनावों में राजनीतिक दलों का एजेंडा स्पष्ट है। ऐसा ध्रुवीकरण अयोध्या आंदोलन के समय ही देखा गया था। हालांकि एक अवधि के बाद राज्य में सामान्य स्थिति आ गई थी। लेकिन हिजाब विवाद के बाद हुए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण ने राज्य की अधिकांश आबादी को गहराई से विभाजित किया है।
नीतिगत निर्णयों के बाद के घटनाक्रमों की श्रृंखला ने भी कर्नाटक के लोगों के मानस को प्रभावित किया है। कर्नाटक में घटी घटनाओं ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया।
सत्तारूढ़ भाजपा स्पष्ट कर रही है कि वह हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ने जा रही है। कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा चुनावी लाभ के लिए मंगलुरु विस्फोट मामले पर संदेह जताया है। उन्होंने पुलिस द्वारा इस घटना को आतंकी कृत्य घोषित किए जाने पर भी सवाल उठाया।
हाल ही में शिवकुमार ने सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाया कि राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा की लोकप्रियता से डरकर, भाजपा सरकार देश में कोविड -19 की आशंकाओं को वापस ला रही है।
कांग्रेस की कर्नाटक इकाई ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि आंतरिक सर्वेक्षणों ने संकेत दिया है कि पार्टी कर्नाटक में आराम से बहुमत हासिल कर लेगी।
दूसरी ओर सत्तारूढ़ भाजपा ने गोहत्या विरोधी अधिनियम, धर्मांतरण विरोधी अधिनियम, स्कूल पाठ्यक्रम को फिर से संशोधित कर वीर सावरकर पर सामग्री शामिल करने, मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की महिमा को कम करने, हटा दिया, कक्षाओं में हिजाब रोकने का नियम बनाने आदि काम किए। हाल ही में बेलगावी सुवर्ण सौधा के विधानसभा हॉल में वीर सावरकर का चित्र लगवाया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि आगामी चुनावों में पार्टी का मुख्य एजेंडा हिंदुत्व होने जा रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बी.एल. संतोष और पूर्व मुख्यमंत्री व जद-एस नेता एच.डी. कुमारस्वामी ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि भगवा पार्टी पुराने मैसूर क्षेत्र में पैठ बनाने की योजना बना रही है, जिसे जद-एस का गढ़ माना जाता है।
संतोष ने जनता दल-सेक्युलर पर तीखा हमला किया और इसे एक परिवार की पार्टी कहा। कुमारस्वामी ने संतोष से सवाल किया था कि वह किस तरह से कर्नाटक से जुड़े हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह भाजपा में परिवारों से आने वाले नेताओं की सूची दे सकते हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने घोषणा की है कि वह जेडी-एस को सत्ता में स्थापित करेंगे। कुमारस्वामी ने संतोष को चेतावनी दी कि चुनाव के बाद उन्हें उनके दरवाजे पर आना होगा।
दूसरी ओर आम आदमी पार्टी (आप) भी राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारी में है। राज्य संयोजक पृथ्वी रेड्डी बार-बार अपनी पार्टी द्वारा अपनाई जा रही वैकल्पिक राजनीति की बात कर रहे हैं, जिसे राष्ट्रीय दल कभी नहीं उठा पाएंगे।
जानकारों ने कहा है कि कर्नाटक दोराहे पर है और 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजे राज्य की आगे की राह तय करने वाले हैं।
–आईएएनएस
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