नई दिल्ली, 12 जुलाई (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण देश भर में टमाटर की बढ़ती कीमतों के बीच केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र से टमाटर की खरीद की योजना बनाई है, जहां से बड़ी मात्रा में इसकी आपूर्ति होती है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि टमाटर का स्टॉक शुक्रवार तक दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में रियायती कीमतों पर खुदरा दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को मिलने लगेगा।
मंत्रालय ने राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों से तुरंत टमाटर खरीदने का निर्देश दिया है, ताकि उन प्रमुख उपभोग केंद्रों में एक साथ वितरण किया जा सके, जहां पिछले एक महीने में खुदरा कीमतों में अधिकतम वृद्धि दर्ज की गई है।
वर्तमान में गुजरात, मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के बाजारों में ज्यादातर आपूर्ति महाराष्ट्र – विशेष रूप से सतारा, नारायणगांव और नासिक – से होती है, जो इस महीने के अंत तक रहने की उम्मीद है।
दिल्ली-एनसीआर में टमाटर की आपूर्ति मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश से होती है। कुछ मात्रा कर्नाटक के कोलार से भी आती है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि नासिक जिले में जल्द ही नई फसल की आवक होने की उम्मीद है।
इसके अलावा, नारायणगांव और औरंगाबाद बेल्ट से अतिरिक्त आपूर्ति आने की उम्मीद है।
मध्य प्रदेश से भी आवक शुरू होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में कीमतें कम होने की उम्मीद है।
हालांकि टमाटर की कीमतें पिछले एक महीने से ऊंचे स्तर पर हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कुछ सप्ताह पहले कहा था कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से आपूर्ति बढ़ने से जुलाई के मध्य तक कीमतों में स्थिरता आएगी।
दोनों राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण टमाटर की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे केंद्र को दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों से आपूर्ति करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भारत में टमाटर का उत्पादन लगभग सभी राज्यों में होता है, हालांकि अलग-अलग मात्रा में। इसका अधिकतम उत्पादन भारत के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में होता है, जो अखिल भारतीय उत्पादन में 56 से 58 प्रतिशत तक का योगदान देता है।
दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्र अधिशेष राज्य होने के कारण उत्पादन मौसम के आधार पर अन्य बाजारों को आपूर्ति करते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन सीज़न भी अलग-अलग होते हैं।
कटाई का चरम मौसम दिसंबर से फरवरी तक होता है। जुलाई-अगस्त और अक्टूबर-नवंबर की अवधि आम तौर पर टमाटर के लिए कम उत्पादन वाले महीने होते हैं।
जुलाई में मानसून के कारण वितरण से संबंधित चुनौतियां और बढ़ जाती हैं तथा पारगमन घाटा बढ़ जाता है, जिससे कीमतों में वृद्धि होती है।
–आईएएनएस
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