अहमदाबाद, 20 जुलाई (आईएएनएस)। यहां की एक सत्र अदालत ने 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में उच्च सरकारी अधिकारियों को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने के मामले में कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की आरोपमुक्ति की अर्जी गुरुवार को खारिज कर दी।
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका की अनुमति दिए जाने के एक दिन बाद आया, जिसने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को “विकृत” बताते हुए खारिज कर दिया था।
शहर सिविल एवं सत्र न्यायालय के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश ए.आर. पटेल ने तीस्ता सीतलवाड़ की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है.
तीस्ता ने अपनी बेगुनाही बरकरार रखते हुए गुजरात पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में आरोपमुक्त करने की याचिका दायर की। सबूत गढ़ने और गवाहों को पढ़ाने की आरोपी तीस्ता ने अपने डिस्चार्ज आवेदन में तर्क दिया कि कथित अपराधों से उसे जोड़ने का कोई आधार नहीं था और उसके खिलाफ पेश की गई सामग्री अपर्याप्त थी।
हालांकि, अदालत ने तीस्ता के खिलाफ फैसला सुनाया और कहा कि उनके खिलाफ मामला चलाने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री थी।
तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व सिविल सेवकों आर.बी. श्रीकुमार और संजीव भट्ट के साथ गुजरात दंगों की साजिश मामले से संबंधित कथित फर्जी साक्ष्य और झूठी कार्यवाही के लिए जांच के दायरे में हैं। तीस्ता की डिस्चार्ज अर्जी वकील एसएम वत्स के माध्यम से दायर की गई थी, जबकि विशेष लोक अभियोजक अमित पटेल राज्य की ओर से पेश हुए थे।
तीस्ता के खिलाफ आरोप 2022 में दायर एक एफआईआर से उपजे हैं, जिसके एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की विधवा जकिया एहसान जाफरी द्वारा 2002 के गुजरात दंगों के दौरान एक बड़ी साजिश का आरोप लगाते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया था। तीस्ता और जाफरी ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी, जिसने उच्च राज्य पदाधिकारियों से जुड़ी एक बड़ी साजिश के आरोपों को खारिज कर दिया था।
तीस्ता सीतलवाड को जून में गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने हिरासत में लिया था और तब से वह जमानत की मांग कर रही थीं। अहमदाबाद सत्र न्यायालय ने अब आरोपमुक्त करने के उनके आवेदन को खारिज कर दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि उन्हें मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।
–आईएएनएस
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