चेन्नई, 25 जुलाई (आईएएनएस)। अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (एएमएमके) के महासचिव टीटीवी दिनाकरण ने घोषणा की है कि वह कोडनाड हत्या-डकैती मामले में जांच की धीमी गति के खिलाफ 1 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) द्वारा घोषित आंदोलन में भाग लेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, पन्नीरसेल्वम को 2022 में अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) से निष्कासित कर दिया गया था और पार्टी अब एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) के पूर्ण नियंत्रण में है जो तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं। टीटीवी दिनाकरन, उनकी आंटी और एआईएडीएमके की पूर्व अंतरिम महासचिव वीके शशिकला भी एआईएडीएमके से बाहर हैं और दिनाकरन ने शशिकला के आशीर्वाद से एएमएमके का गठन किया था।
ओपीएस ने कोडनाड हत्या-डकैती मामले में जांच की धीमी गति के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की है क्योंकि द्रमुक ने 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान अपने चुनाव अभियान में घोषणा की थी कि वह मामले में दोबारा जांच शुरू करेगी और वास्तविक दोषियों को सजा दिलाएगी।
हत्या-डकैती मामला 23-24 अप्रैल 2017 की मध्यरात्रि को हुआ था। लुटेरों के एक समूह ने नीलगिरी जिले में दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता और वी.के. शशिकला के संयुक्त स्वामित्व वाले कोडनाड एस्टेट-सह-बंगले में तोड़-फोड़ की थी। वहीं 5 दिसंबर 2016 को जयललिता का निधन हो गया था और फरवरी 2017 में शशिकला को जेल भेज दिया गया था।
लुटेरों ने एस्टेट बंगले के चौकीदार-सह-सुरक्षा गार्ड ओम बहादुर की हत्या कर दी थी और एस्टेट के एक अन्य गार्ड कृष्णा थापा को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। हालांकि, पुलिस एफआईआर के अनुसार एस्टेट बंगले से केवल कुछ क्रिस्टल छोटी तस्वीरें (लघुचित्र) लूटे गए थे।
चार दिन बाद, जयललिता के पूर्व ड्राइवर कनगराज, जो इस मामले में पहले आरोपी हैं, उनकी चेन्नई राजमार्ग पर सेलम में एक सड़क दुर्घटना मौत हो गई थी। वहीं केरल के पलक्कड़ में एक अन्य आरोपी सायन और उसके परिवार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इस हादसे में उनकी पत्नी और बेटी की मौके पर मौत हो थी। यह हादसा तब हुआ था जब वह कार से यात्रा कर रहे थे।
जुलाई में, कोडनाड एस्टेट बंगले के कंप्यूटर ऑपरेटर दिनेश कुमार ने अपने आवास पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
तब द्रमुक ने आरोप लगाया था कि बंगले में हत्या और डकैती में अन्नाद्रमुक के कुछ वरिष्ठ नेताओं की भूमिका थी और बंगले से भारी मात्रा में धन और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज चोरी हो गए थे। पार्टी ने यह भी कहा था है कि सत्ता में वापस आने पर वह नई जांच कराएगी। जबकि कोडनाड मामले में एक नई जांच शुरू हुई, इसकी धीमी और सुस्त गति के कारण ओपीएस को मामला उठाना पड़ा।
–आईएएनएस
एफजेड/एबीएम