जिंदा होने का सबूत लेकर डीएम के पास पहुंचा पीडि़त
राजस्व विभाग की लापरवाही से चित्रकूट में मचा हड़कंप,
देशबन्धु. नाम पर चजीवित को मृतक दिखाकर करोड़ों की जमीन की हेराफेरी करने का एक मामला जनपद चित्रकूट में सामने आया है। इस घपलेबाजी में लेखपाल सहित अन्य अधिकारियों ने बिना जांच किए ही सरकारी कागजों में जमीन को किसी और केढ़ा दिया। जिंदा होने का सबूत लेकर डीएम के पास पहुंचा पीडि़त
खतौनी निकालने पर असल जमीन मालिक को जब इसका पता चला तो वह सीधे लेखपाल के पास पहुंचा। लेखपाल ने बातें बनाकर पीडि़त को तहसील से चलता कर दिया। गुरुवार को पीडि़त ने एसडीएम और डीएम को हलफनामा देकर जमीन वापस उसके नाम करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग का आवेदन दिया है।
तहसील कर्वी के सीतापुर निवासी कल्लू उर्फ कन्नू कुशवाहा ने बतायाकि वह रोजगार के लिए मध्य प्रदेश के सतना जिल अंतर्गत कोठी में रहता है। गांव आने पर तहसील से खतौनी की नकल निकलवाई तो पता चला कि मेरी बेशकीमती जमीन को गांव निवासी कुट्टू रैकवार ने 1959 में मेरे मृत्यु का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर करीब एक बीघा जमीन अपने नाम करा लिया है। जिसमें एक महिला व पुरुष की फर्जी गवाही भी दर्ज है। कल्लू ने आरोप लगाया कि हल्का लेखपाल ने बिना मौके पर गए ही झूठी रिपोर्ट लगाया है। जिसके बाद जमीन दूसरे के नाम दर्ज कर दी गई।
मौत के सात साल बाद
पैदा हुआ बेटा
अधिवक्ता राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि कुट्टू रैकवार ने न्यायालय में जो कागजात जमा किया है उसमें उसके पिता की मृत्यु 1959 में हो गई है। जबकि कुट्टू रैकवार के आधार कार्ड में उसकी जन्मतिथि 1966 दर्ज है। अब सवाल यह है कि पिता की मौत के सात साल बाद बेटा कैसे पैदा हो गया। ऐसे में कहना लाजमी होगा कि तहसील के अधिकारियों ने अनदेखी कर फर्जी तरीके से दूसरे व्यक्ति के नाम जमीन कर दी।
सबका अपना पक्ष
लेखपाल आलोक मिश्रा ने बताया कि नायब तहसीलदार न्यायालय से आदेश आया था, उसी पर मैंने रिपोर्ट लगाई है। बिना मौके पर गए रिपोर्ट लगाने व जन्मतिथि के संबंध में कोई जबाव नहीं दिया। नायब तहसीलदार मंगल यादव ने बताया कि लेखपाल की रिपोर्ट के आधार पर ही वरासत हुई होगी। पीडि़त ने प्रार्थना पत्र दिया है तो इसकी जांच की जाएगी। साथ ही गलत मिलने पर फर्जी वरासत कराने वाले और संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।