जबलपुर. प्रयोगशालाओं में स्टेरिलिटी परीक्षण (स्वच्छता जांच) में फेल होने के बाद 9 फार्मास्युटिकल कंपनियों के उत्पादों को बाजार से वापस लिया जा रहा हैं. इंदौर की फार्मा कंपनियों की बड़ी संख्या में दवाएं लगातार देशभर के अलग-अलग हिस्सों में टेस्ट में फेल होती जा रही हैं. इसी कड़ी में एक और टेस्ट रिपोर्ट सामने आई है. इसमें इंदौर की 3 दवा कंपनियां अल्पा लेबोरेटरीज, रसोमा लेबोरेटरीज और मॉडर्न लेबोरेटरीज, एक कंपनी खरगोन की आईएचएल लाइफसाइंसेज सहित कुल 8 दवा कंपनियों की 9 दवाईयां स्टेरिलिटी परीक्षण (स्वच्छता जांच) में फेल हो गई है. यह टेस्ट कर्नाटक में सप्लाई की गई दवाओं से लिए गए सैंपल से किए थे.
इसकी रिपोर्ट आने के बाद कर्नाटक सरकार ने दवा कंपनियों की दवाईयों को पूरे भारत से वापस बुलाने की मांग केंद्र सरकार से की है. ज्ञात हो कि कुछ दिन पूर्व ही देशबन्धु द्वारा इंदौर की ही 7 दवा कंपनियों के 16 सैंपल फेल होने की खबर प्रकाशित की थी. उसमें भी इसी मॉर्डन लेबोरेटरीज के कई सैंपल फेल हुए थे. इंदौर की एक के बाद एक दवा कंपनियों की दवाइयां टेस्ट में फेल होने के बाद इंदौर के साथ-साथ जबलपुर के दवा बाजार में भी हड़कंप का माहौल हैं, क्योंकि इंदौर की दवा कंपनियों की सर्वाधिक खपत जबलपुर के दवा बाजार से हो रही थी.
स्वच्छता जांच में भी खरी नहीं उतरी दवा
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री की ओर से हालही में केंद्र सरकार से आग्रह किया कि राज्य की प्रयोगशालाओं में स्टेरिलिटी परीक्षण (स्वच्छता जांच) में फेल होने के बाद 9 फार्मास्युटिकल कंपनियों के उत्पादों को बाजार से वापस लिया जाए. केंद्र से अनुरोध किया गया हैं कि वह केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन से उन फार्मास्युटिकल कंपनियों के उत्पादों का निरीक्षण कराए, जिनकी दवाएं परीक्षण में फेल हुई हैं. इसके साथ ही यह भी जांच की जाए कि ये कंपनियां गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज का पालन कर रही हैं या नहीं.
शहर में अब भी धड़ल्ले से हो रही बिक्री
दवा बाजार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जिन दवाओं को कर्नाटक सरकार द्वारा देश भर में रोक लगाने केंद्र से मांग की जा रही हैं उन्हीं 9 विवादित कंपनियों की दवाईयां अब भी शहर में धड़ल्ले से बिक रही हैं. लैब रिपोर्ट मिलने के बाद, कर्नाटक में इन दवाओं को बाजार से वापस लेने का आदेश दिया गया. वहां यह आशंका व्यक्त की गई कि इन कंपनियों द्वारा निर्मित दूषित दवाएं अन्य राज्यों में भी बेची जा रही हैं.
इंजेक्टेबल दवाओं का उपयोग गंभीर देखभाल में किया जाता है, इसलिए वे मरीजों के लिए अधिक जोखिमपूर्ण होती हैं. उन्होंने केंद्र सरकार से पूरे देश में इन दवाओं को बाजार से वापस लेने और तब तक इन कंपनियों की दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया
स्टेरिलिटी टेस्ट में ये दवाएं हुई फेल
जो दवाएं स्वच्छता जांच में फेल हुई उनमें अल्पा लेबोरेटरीज, इंदौर, का डाइक्लोफेनाक सोडियम इंजेक्शन, रसोमा लेबोरेटरीज, इंदौर का डेक्सट्रोज इंजेक्शन, मॉडर्न लेबोरेटरीज इंदौर का पिपरासिलीन इंजेक्शन, लाइफसाइंसेज, खरगोन का मेट्रोनिडाजोल इंजेक्शन, फार्मा इम्पेक्स लैबोरेटरीज, पश्चिम बंगाल का मेट्रोनिडाजोल इंजेक्शन, पाकसन्स फार्मास्युटिकल्स, बहादुरगढ़, हरियाणा का फ्रूसेमाइड इंजेक्शन, मैसर्स रीजन लैबोरेटरीज, हिसार का कैल्शियम ग्लूकोनेट इंजेक्शन एवं ओन्डान्सीट्रोन इंजेक्शन, मार्टिन एंड ब्राउन बायो साइंस प्रा. लिमिटेड का एस्ट्रोपिन सल्फेट इंजेक्शन की दवाएं शामिल हैं.