नई दिल्ली. कर्ज में डूबी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और उसके पूर्व चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा ने अब आरकॉम के ऋण खातों को ‘धोखाधड़ी’ (फ्रॉड) घोषित कर दिया है. यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब कंपनी पहले से ही दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है.
क्या है पूरा मामला?
बैंक ऑफ बड़ौदा ने शुक्रवार को स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में बताया कि यह निर्णय उन कर्जों से संबंधित है जो कंपनी के दिवाला प्रक्रिया (CIRP) में जाने से पहले लिए गए थे. इससे पहले देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और बैंक ऑफ इंडिया भी आरकॉम के खातों को फ्रॉड घोषित कर चुके हैं.
RCom का पक्ष
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए RCom ने कहा कि ये सभी ऋण दिवाला प्रक्रिया के तहत निपटाए जाएंगे. कंपनी ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में इसका प्रबंधन रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के हाथों में है और अनिल अंबानी अब कंपनी के निदेशक मंडल में नहीं हैं. कंपनी ने बताया कि दिवाला समाधान योजना को ऋणदाताओं की समिति (CoC) से मंजूरी मिल चुकी है और अब इसे राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) की अंतिम स्वीकृति का इंतजार है.
कानूनी मुश्किलें और ईडी की जांच
बैंक ऑफ बड़ौदा के इस कदम से आरकॉम की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. कंपनी ने कहा है कि वह इस कार्रवाई पर कानूनी सलाह ले रही है. यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) अनिल अंबानी समूह की कंपनियों से जुड़े 17,000 करोड़ रुपये के कथित ऋण घोटाले की जांच कर रहा है. ईडी ने इस संबंध में विभिन्न बैंकों से आरकॉम, रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस से जुड़े ऋणों का ब्यौरा मांगा है.
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भविष्य पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकों द्वारा खातों को फ्रॉड घोषित करने का यह सिलसिला दिवाला प्रक्रिया को और जटिल बना सकता है. यह कदम बैंकिंग प्रणाली में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल भी है. बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा है कि वह इस कार्रवाई की रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) समेत सभी संबंधित नियामकों को सौंपेगा.