सतना, देशबन्धु। महिला सशक्तीकरण की बात करने वाली भाजपा सरकार के राज्य में जिले की पहली महिला पटवारी को प्रताडि़त करने का मामला सामने में आया है। महिला पटवारी की परेशानी आमजन से नहीं बल्कि शासन और प्रशासन की लचर व्यवस्था से है। कोठी तहसील से मझगवां के बरौंधा सर्किल अंतर्गत आने वाले गोपालपुर हल्का के लिए हुए स्थानांतरण को संसोधित कराने उन्होने हाल ही में रघुराजनगर एसडीएम, भूअभिलेख अधीक्षक सहित सतना कलेक्टर को अभ्यावेदन दिया है। दिये गये अभ्यावेदन में पीडि़त महिला पटवारी रीता अग्रवाल ने कहा है कि 6 वर्ष में मेरा 7 बार स्थानांतरण किया गया है। मैं विधवा हूं, मेरे घर में मेरी 80 वर्ष की अंधी मां और मेरे दो बेटे हैं। उनकी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है। ऐसे में मैं प्रतिदिन मझगवां के दस्यु प्रभावित क्षेत्र गोपालपुर हल्का कैसे आ जा सकती हूं।
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19 दिन के लिए स्थानांतरण
महिला पटवारी रीता अग्रवाल का आरोप है कि राज्यमंत्री द्वारा सुनियोजित तरीके से उनका स्थानांतरण दस्यु प्रभावित क्षेत्र में कराया गया है। क्योंकि कोठी तहसील के झाली हल्के में वह पदस्थ थीं। जहां बागरी समाज के लोगों द्वारा मेरे साथ अभद्रता की गई थी। जिसकी शिकायत करने पर राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी ने इस मामले को व्यक्तिगत लेते हुए मेरा स्थानांतरण जनवरी माह में ही कोठी तहसील के नयागांव हल्के में करा दिया था। इस हल्के में मैने 19 दिन काम किया। इसके बाद मुझे फिर से झाली हल्के में पदस्थ कर दिया गया।
पहली लिस्ट में नहीं था नाम
पीडि़त महिला पटवारी का आरोप है कि जब पहली स्थानांतरण की लिस्ट बनी तो इस लिस्ट में मेरा नाम नहीं था। लेकिन दूसरी बार फिर से लिस्ट तैयार की गई उस लिस्ट में राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी ने रुचि लेते हुए स्थानांतरण में मेरा दिया। जिसके चलते मेरा स्थानांतरण कोठी तहसील से मझगवां तहसील के बरौंधा सर्किल अंतर्गत आने वाले गोपालपुर हल्के में किया गया है। यह हल्का दस्यु प्रभावित क्षेत्र है। विधवा महिला होने के अलावा पूरे परिवार की जिम्मेदारी के कारण प्रतिदिन 80 किमी आना जाना व्यवहारिक रूप से एक महिला के लिए असंभव जैसा है।
तहसीलदार देते हैं धमकी
पटवारी रीता अग्रवाल ने बताया है कि तबादला सूची जारी होने के बाद कई पटवारियों को आदेश की तामीली भी नहीं हुई है। इसके बाद भी रघुराजनगर तहसीलदार द्वारा मीटिंग में धमकी देकर बाबू को कहा जाता है कि इनका रिलीविंग आर्डर तैयार किया जाए। तहसीलदार का मेरे प्रति यह व्यवहार दर्शाता है कि मेरे साथ क्या चल रहा है।
वर्ष 1996 में हुई थी नियुक्ति
अगर देखा जाए तो रीता अग्रवाल जिले की पहली पटवारी महिला हैं। जिनकी पहली बार जिले में बतौर पटवरी नियुक्ति वर्ष 1996 में हुई थी। पटवारी जैसे पद में रहने के बाद भी वह हमेशा साफ छवि और ईमानदारी लिए तो जानी जाती रहीं हैं, साथ ही वह महिलाओं के लिए हमेशा रोल मॉडल रहीं हैं। इसके बाद भी उन्हे सेवा काल में हर बार राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है।
इनका कहना है
पटवारियों के स्थानांतरण शासन स्तर से हुए हैं। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। अगर वह आरोप लगा रहीं हैं तो इसके लिए मै कुछ नहीं कर सकती।
प्रतिमा बागरी, राज्यमंत्री मप्र शासन