मंडला, देशबन्धु. मप्र जिसे ‘टाइगर स्टेट का तमगा मिला हुआ है, अब बाघों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है. प्रदेश में लगातार हो रही बाघ की मौतें न केवल चिंता का विषय हैं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के लिए एक बड़ी चुनौती भी बनती जा रही हैं. कभी बिजली के करंट से, कभी जहरखुरानी से, तो कभी फंदे में फंसाकर बाघों का शिकार किया जा रहा है. शिकारियों द्वारा बाघों को मारने के लिए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, जो निश्चित रूप से चिंता का विषय है.
बालाघाट जिले के कटंगी वन परिक्षेत्र के कोड़मी बीट में एक बाघ का शव झाड़ियों के बीच मिला. प्रारंभिक जांच में पशु चिकित्सकों ने भूख-प्यास को बाघ की मौत की संभावित वजह बताया है. बाघ के गले में तार का फंदा लटका हुआ था, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि वह खुद को छुड़ाने की कोशिश में घायल हो गया. चिकित्सकों के अनुसार, फंदे से निकलने की जद्दोजहद में उसकी आहार नली क्षतिग्रस्त हो गई, जिसके चलते वह भोजन नहीं कर सका और भूख से उसकी मौत हो गई. विशेषज्ञों का मानना है कि बाघ लगभग 15 दिन पहले इस फंदे में फंसा होगा.
वन विभाग की टीम ने एक दिन पहले इसी क्षेत्र में बाघ को देखा था, लेकिन तब उसकी स्थिति को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं थी. शनिवार सुबह जब वन अमला बाघ की लोकेशन ट्रेस करने पहुंचा, तो उसका शव झाड़ियों में पड़ा मिला. सूचना मिलते ही वन परिक्षेत्र अधिकारी बाबूलाल चढ़ार और पूरी वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची. वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करने के बाद पशु चिकित्सकों की टीम ने घटनास्थल पर ही बाघ का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार कर दिया.
बाघ के गले में मिला तार का फंदा आमतौर पर शिकारियों द्वारा जंगली सूअरों को पकड़ने के लिए जंगल और खेतों की सीमा पर लगाया जाता है. फिलहाल वन विभाग यही मान रहा है कि यह फंदा भी जंगली सुअर को पकड़ने के लिए लगाया गया होगा, लेकिन दुर्भाग्यवश उसमें बाघ फंस गया.