भोपाल. सिविल सर्विस-डे… यानी नागरिकों की सेवा का दिन. यह मप्र के 382 समेत देश के 5542 आईएएस अफसरों के लिए अहम है. इनमें कुछ अफसर ऐसे प्रोजेक्ट लेकर आए, जिन्हें देश-दुनिया में सराहना मिली. इनमें लाड़ली लक्ष्मी योजना का जिक्र खास है.
लाड़ली लक्ष्मी योजना को 15 राज्यों ने कॉपी किया… पीएम गतिशक्ति ने दी प्रोजेक्ट्स को रफ्तार, ‘ज्ञानदूत से गांव-गांव पहुंचाई ऑनलाइन सेवाएं और स्कूल माफिया पर सख्ती
इस योजना को बाद में 15 राज्यों ने अलग-अलग तरह से कॉपी किया और 12 से अधिक पीएचडी इस पर हुईं. आज इसमें 50 लाख बेटियां पंजीकृत हैं. इन्हें समय समय पर पैसा मिलता है, जिससे पढ़ाई चलती रहे. 21 साल की होने पर एक लाख रुपए मिलता है. इस स्कीम ने भाजपा को 2008 में दोबारा सत्ता में ला दिया, साथ ही लिंगानुपात सुधारने में भी अहम भूमिका निभाई. इसी तरह पीएम गतिशक्ति ने परियोजनाओं को नई रफ्तार दी है.
पीएम गतिशक्ति : प्लानिंग और प्रोसेस के लिए शानदार टूल बना. अनुराग जैन, मुख्य सचिव
प्रोजेक्ट लेट होने की बड़ी वजह विभागों में तालमेल की कमी है. सड़क, रेल, मेट्रो, बिजली- हर काम में समन्वय जरूरी है. इसी जरूरत को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर पीएम गतिशक्ति पोर्टल को प्लानिंग का टूल बनाया गया. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान अनुराग जैन ने इसमें अहम योगदान दिया. जीआईएस बेस्ड पोर्टल से विभागों और सरकारों को जरूरी डाटा एकसाथ मिलने लगा. इस नवाचार के लिए पीएम एक्सीलेंस अवॉर्ड मिला.
ज्ञानदूत : ई-गवर्नेंस का पहला प्रोजेक्ट, 20 तरह की सेवाएं दी, डॉ. राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव, सीएम
साल 2000 में जब धार कलेक्टर थे, तब वहां ई-गवर्नेंस का पहला प्रोजेक्ट लेकर आए. मॉडम को सर्वर से जोड़कर ज्ञानदूत सूचना के 28 सेंटर सिर्फ 51 दिनों में अलग-अलग गांवों में खोल दिए. इसमें खसरा-खतौनी की नकल से लेकर 20 तरह की सेवाएं दीं. इसी मॉडल पर बाद में एमपी ऑनलाइन जैसे सिस्टम काम करने लगे. राजौरा को आईटी का सबसे बड़ा ‘स्टॉकहोम चैलेंज’ अवार्ड दिया गया.
लाड़ली लक्ष्मी योजना : मप्र का लिंगानुपात सुधारने में अहम रही, पी. नरहरि, प्रमुख सचिव, पीएचई
2006-07 में एक बैठक में शिशु लिंगानुपात गिरने पर चिंता जताई गई. तब के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा- ऐसी योजना लाएं, जो जन्म के लिए प्रोत्साहित करे. महिला बाल विकास विभाग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. नरहरि ने तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा का दौरा किया. एक साल की मेहनत के बाद योजना ने आकार लिया. नाम ‘लाड़ली लक्ष्मी’ रखा. योजना 1 अप्रैल 2007 को शुरू हुई.
माफिया पर सख्ती : एनसीईआरटी बुक्स चलाने को मजबूर किया,दीपक सक्सेना, कलेक्टर जबलपुर
निजी स्कूल महंगी किताबें थोप रहे थे. एनसीईआरटी की जगह प्राइवेट पब्लिशर की किताबें चल रही थीं. स्कूलों का दावा था कि उनका कंटेंट बेहतर है. कलेक्टर सक्सेना ने पड़ताल की तो दावा फर्जी निकला. आदेश हुआ- प्राइवेट किताबें चलानी हैं तो उनकी खासियत बताओ. सख्ती बढ़ी तो स्कूल एनसीईआरटी पर लौटे. जहां पहले किताबों पर 6-7 हजार खर्च होते थे, अब 800-900 में काम चलने लगा.
1 – नेहा मीना, झाबुआ कलेक्टर…
कुपोषण मुक्त जिला, एनीमिया को हराने, बाल विवाह रोकने और बेटियों की शिक्षा पर अभियान चलाए. इनसे स्थानीय महिलाओं को जोड़ा. इसे मोटी आई नाम दिया. कैंपेन भीली भाषा में चलाए.
2- राहुल हरिदास फटिंग…
बड़वानी कलेक्टर रहते हुए समग्र विकास के काम किए. दुर्गम स्थानों तक केंद्र की स्कीमें पहुंचाई. वारलू कमांडो, मिशन नीव जैसे नवाचार किए. अभी हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर हैं. ‘पीएम उत्कृष्टता पुरस्कार-2024’ से सम्मानित हाेंगे.