भोपाल . सोमवार दोपहर शाहजहानी पार्क में पूरे प्रदेश से बिजली उपभोक्ता एकजुट होकर स्मार्ट मीटर के विरोध में बड़े स्तर पर प्रदर्शन में शामिल हुए. यह विरोध मध्यप्रदेश बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन (MECA) के बैनर तले हुआ. प्रदर्शन में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और सरकार से 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने तथा बिजली के रेट कम करने सहित 11 मांगें रखीं.
प्रदर्शन का कारण – प्रदेश संयोजक रचना अग्रवाल और लोकेश शर्मा ने कहा कि यह विरोध किसी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि आम उपभोक्ताओं की दैनिक आय और जीवनमरण का सवाल है. संगठन के मुदित भटनागर ने बताया कि भोपाल समेत कई जिलों में लगे स्मार्ट मीटर गरीब वर्ग को आर्थिक रूप से परेशान कर रहे हैं.
बढ़े हुए बिलों की शिकायतें – भोपाल के उपभोक्ताओं ने बताया कि हर माह बिल भरने के बावजूद किसी का बिल 10 हजार, किसी का 20 हजार, तो किसी का 29 हजार रुपए तक आया. ग्वालियर में एक कमरे के घर के मालिक का बिल 5 हजार रुपए आया, वहीं कुछ उपभोक्ताओं को महीने में दो बार 66 हजार के बिल मिले.
गुना, सीहोर, विदिशा, सतना, इंदौर, देवास, दमोह, जबलपुर आदि जिलों में भी 700800 रुपए के पुराने बिल अब हजारों में आ रहे हैं.
गुना में एक किसान को 2 लाख रुपए से अधिक का बिल थमा दिया गया. कई उपभोक्ता बिल चुकाने के लिए गहने और बर्तन तक बेच रहे हैं.
उपभोक्ताओं की नाराजगी के कारण – स्मार्ट मीटर प्रीपेड मोबाइल रीचार्ज सिस्टम की तरह है, जिसमें कंपनी कभी भी कनेक्शन काट सकती है, सभी रीडिंग और नियंत्रण सेंट्रल सिस्टम के तहत है, जिससे यूनिट बदलना भी संभव है, दिन और रात के अलगअलग बिजली दर (TOD) लागू हैं, मीटर खराब होने पर बदलने के लिए दोबारा पूरी रकम देनी पड़ती है, बिल न भरने पर तुरंत बिजली काट दी जाती है और जुड़वाने के लिए 350 रुपए लिए जाते हैं, जबकि सिक्योरिटी मनी पहले से जमा है, बिल की हार्ड कॉपी नहीं दी जा रही है, जिससे अशिक्षित और तकनीकी रूप से अक्षम उपभोक्ताओं को परेशानी है, हर उपभोक्ता के पास स्मार्टफोन नहीं है, बिल भरने के लिए मोबाइल खरीदना मजबूरी बनेगा, उपभोक्ताओं का अनुबंध पोस्टपेड मीटर के लिए है.
फिर प्रीपेड मीटर क्यों लगाए गए? सरकार से की गई 11 मांगें-
1. बिजली क्षेत्र के निजीकरण की नीति को रद्द किया जाए.
2. बिजली संशोधन विधेयक 2022 को पूरी तरह रद्द किया जाए.
3. स्मार्ट मीटर लगाने की नीति बंद की जाए.
4. बिजली बिल की हार्ड कॉपी दी जाए और मीटर पोस्टपेड ही हो.
5. स्मार्ट मीटर हटाकर पुराने डिजिटल मीटर लगाए जाएं.
6. स्मार्ट मीटर विरोध करने वाले उपभोक्ताओं पर दर्ज सभी एफआईआर और केस निरस्त हों.
7. अनुचित रूप से बढ़े हुए बिल (स्मार्ट और डिजिटल मीटर दोनों) रद्द किए जाएं.
8. भविष्य में उपभोक्ताओं को उचित और तार्किक बिल दिए जाएं.
9. बिजली के रेट न्यूनतम हों ताकि गरीब उपभोक्ता भी भुगतान कर सके.
10. बिल न भरने वालों को कम से कम तीन महीने की मोहलत मिले और उनका कनेक्शन न काटा जाए.
11. सभी उपभोक्ताओं को 200 यूनिट बिजली निशुल्क दी जाए.