अनूपपुर. भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं विंध्य विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता को आखिरकार ब्राह्मण समाज के दबाव और बहिष्कार की चेतावनी के आगे झुकना पड़ा। 12 दिन तक ताव और रुतबा दिखाने वाले गुप्ता को अंततः ब्राह्मण समाज से सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगनी पड़ी।
मामला क्या था?
28 अगस्त 2025 को जैतहरी में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान अनिल गुप्ता ने भाजपा महिला मोर्चा की जिला महामंत्री एवं नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती नवरत्नी शुक्ला को “कुलक्षणी” और “पिशाच” जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया था।
भाजपा के बड़े नेता द्वारा अपनी ही पार्टी की महिला नेता के प्रति इस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल न केवल राजनीतिक गलियारों में भूचाल लेकर आया बल्कि ब्राह्मण समाज और महिला संगठनों में भी गुस्से की लहर दौड़ गई।
ब्राह्मण समाज का अल्टीमेटम
इस घटना के बाद जिले के सभी ब्राह्मण संगठनों की निर्णायक बैठक जैतहरी के विजय शुक्ला के फैक्ट्री परिसर में रखी गई।
बैठक में आर्यावर्त समाज के जिलाध्यक्ष पं. चैतन्य मिश्रा, अखिल भारतीय ब्राह्मण एकीकरण परिषद के जिलाध्यक्ष पं. विद्याधर पांडे, विप्र समाज संयोजक पं. रामनारायण द्विवेदी, भगवा दल जिलाध्यक्ष पं. कन्हैया मिश्रा, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता समेत सैकड़ों विप्रजन उपस्थित रहे।
सभा की शुरुआत भगवान परशुराम की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन एवं अर्चन के साथ हुई। इसके बाद गगनभेदी नारे लगाते हुए वक्ताओं ने साफ कहा कि यह लड़ाई सिर्फ नवरत्नी शुक्ला का नहीं बल्कि पूरे ब्राह्मण समाज की अस्मिता का प्रश्न है।
पं. विजय मिश्रा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर चेतावनी दी थी कि यदि अनिल गुप्ता माफी नहीं मांगते तो उनका सामाजिक बहिष्कार, धरना-प्रदर्शन और व्यापक आंदोलन किया जाएगा।
बहिष्कार की धमकी से टूटी “पॉवर”
सिर्फ एक दिन भी समाज के बहिष्कार की धमकी नहीं झेल पाए अनिल गुप्ता। आनन-फानन में उन्होंने ब्राह्मण समाज के नाम क्षमा याचना पत्र जारी कर दिया।
अनिल गुप्ता का क्षमा याचना पत्र
> “28 अगस्त 2025 को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मेरे उद्बोधन के संबंध में मीडिया द्वारा जो प्रसारित हुआ, उसमें मेरा किसी को आहत करने का उद्देश्य नहीं था। फिर भी यदि मेरे वक्तव्य से ब्राह्मण समाज एवं मातृशक्ति की भावनाएं आहत हुई हों तो मैं सद्भावना सहित क्षमा चाहता हूँ।”
— अनिल गुप्ता
नवरत्नी शुक्ला को मिला सम्मान
बैठक में मंच से सम्मानपूर्वक श्रीमती नवरत्नी शुक्ला भी उपास्थित हुई और क्षमा याचना पत्र का सार्वजनिक वाचन किया गया और समाज के वरिष्ठजनों ने उनसे सहमति मांगी।
लंबे विचार-विमर्श के बाद ब्राह्मण समाज ने अपनी बड़ी उदारता और हृदयता का परिचय देते हुए माफी स्वीकार कर ली।
भाजपा की किरकिरी
इस पूरे प्रकरण ने भाजपा की छवि को गहरा आघात पहुंचाया। पहले ही विवादों में रहने वाले अनिल गुप्ता की हरकत ने पार्टी पर ऐसा दाग लगा दिया जिसे आसानी से मिटाना मुश्किल होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना के बाद भाजपा भविष्य में गुप्ता को किसी भी जिम्मेदारी या पद देने से पहले सौ बार सोचेगी।
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प्रमुख ब्राह्मण विप्रवर रहे उपस्थित
इस पूरे मामले में घटना दिनांक से लेकर आज तक लगातार आंदोलन सक्रिय रहकर भूमिका बनाने में प्रमुख रूप से पं. जितेंद्र पाण्डेय, पं. संदीप मिश्रा, पं. शेषनारायण शुक्ला, पं. सुरेंद्र प्रसाद शुक्ला, पं. सुधीर द्विवेदी, पं. चतुर्वेदी, पं. दिलीप शर्मा, पं. रोहिणी प्रसाद तिवारी, पं. विजय पांडे, पं. महेश तिवारी, पं. रमाकांत उपाध्याय, पं. आशीष पांडे, पं. विजय मिश्रा, पं. राम सजीवन गौतम, पं. मोहन राम पांडे, पं. राधेश्याम, पं. चेतराम उपाध्याय, पं. अनंत मिश्रा, पं. जेपी चतुर्वेदी, पं. राकेश, पं. दिनेश, पं. प्रदीप मिश्रा आदि अन्य सैकड़ों विप्रजनों का सराहनीय योगदान रहा।