अनूपपुर, देशबन्धु. अनंत श्रीविभूषित द्वीपीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की पावन चरण पादुकाओं की छत्रछाया से आच्छादित एवं उनके विशेष कृृपापात्र शिष्य ब्रम्हचारी स्वामी सुबुद्धानंद महाराज के पावन नेतृत्व में मेकलसुता शिवपुत्री मॉ नर्मदा की पवित्र एवं रमणीक यात्रा उनके शिष्यों सहित आरंभ की गई है। इस पवित्र आध्यात्मिक यात्रा में लगभग 50 लोगों का समुदाय ब्रह्मचारी श्री सुबोधानंद जी के साथ चल रहा है। नर्मदा परिक्रमा के लिए स्वामी जी अपने शिष्यों सहित 15 मार्च शनिवार की शाम की सुहानी बेला में मां नर्मदा की अलौकिक छटा के दर्शन को आतुर अमरकंटक पहुंचे और अपने शिष्य परिवार सहित मां नर्मदा का दर्शन एवं पूजन कर अपने पूर्व परिचितों से मुलाकात की।
श्रीमाता सदन में हुआ भव्य स्वागत वंदन – अमरकंटक की पवित्र धरा पर स्थापित श्रीमाता सदन में परम धर्म सांसद श्रीधर शर्मा ने स्वामी जी सहित समस्त परिक्रमाकर्ताओं का स्वागत वंदन किया और स्वामी जी सहित समस्त परिक्रमाकर्ता श्रीमाता सदन में भोजन उपरांत रात्रि विश्राम कर 16 मार्च को भोजन प्रसाद प्राप्त कर मां नर्मदा की परिक्रमा यात्रा को आगे बढ़ाते हुए मंडला के लिए प्रस्थान करेंगे।
गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने हेतु की अपील – स्वामी जी ने अमरकंटक और मां नर्मदा के माहात्म्य का सुंदर वर्णन करते हुए मां नर्मदा की निराली और अलौकिक छटा की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि मैं बहुत दिनों से यहां आना चाहता था, लेकिन जब मैया का आदेश हुआ, तो उन्होंने नर्मदा परिक्रमा के दौरान मुझे दर्शन देकर मेरे और मेरे साथ नर्मदा परिक्रमा कर रहे समस्त शिष्यों को कृतार्थ किया। स्वामी जी ने कहा गौहत्या पर नाराजगी जताई और कहा कि गौमाता तो हम सभी की माता है और गौमाता के निर्मल दुग्ध से हम सभी का पालन पोषण हुआ है।
परम धर्म सांसद श्रीधर शर्मा ने संत कृपा को बताया सर्वस्व – परम धर्म सांसद श्रीधर शर्मा ने मां नर्मदा के माहात्म्य का स्वामी जी के मुखार बिंदुओं से श्रवण कर स्वयं को सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि यह सौभाग्य ही है जो कि आज स्वामी जी के श्रीचरण हमारी कुटिया में पड़े हैं और मां नर्मदा की हहम पर विशेष अनुकंपा है। श्री शर्मा ने संतो के संगत को प्रथम भक्ति कहते हुए संतो की संगत की महत्ता का वर्णन किया और स्वयं को सौभाग्यशाली बताया कि आज मुझे स्वामी जी सहित समस्त परिक्रमाकर्ताओं का स्वागत और सेवा का सुअवसर प्राप्त हुआ।