जबलपुर,देशबन्धु. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा एडीजे पद के लिए प्रैक्टिस अधिवक्ता के लिए निर्धारित बार कोटे की सीट पर सिविल जज को चयनित किये जाने खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि संशोधित नियम में चार साल तक बार कोटे की सीट रिक्त रहने पर उसे सिविल जज कोटे में परिवर्तित किया जाना था। संशोधन के बाद उसी साल से उक्त नियम लागू कर दिया। हाईकोर्ट जस्टिस सुरेष कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि रिक्त सीटों को सिविल जज वर्ग में निर्धारित समय से पूर्व परिवर्तित किया जाना अवैधानिक था। युगलपीठ ने चयनित सिविल जज को वरिष्ठता के आधार में डीजे पद पदोन्नति प्रदान की जाये।
याचिकाकर्ता सपना झुनझुनवाला की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि मप्र उच्चतर न्यायिक सेवा नियम 1994 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा 2015 में संशोधन किया गया था। जिसके अनुसार एडीजे पद के लिए निर्धारित बार कोटा चार साल तक रिक्त रहता है तो उन पदों पर सिविल जज की नियुक्ति पदोन्नति के अनुसार की जायेगी। याचिका में कहा गया था कि बार के निर्धारित सीधी भर्ती सीट पर भर्ती के लिए चौथा नियम बनाया गया था। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन ही नियम निर्धारित किये गये थे।
याचिका में साल 2016,2017 तथा 2018 में सिविल जज के लिए निकाली गई भर्ती के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया था कि संशोधन कानून को उसकी साल से लागू कर दिया गया। संशोधित कानून के अनुसार चार साल से रिक्त पर सिविल जज की नियुक्ति की जानी चाहिए थे। युगलपीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश जारी किये।