स्वर्ण
22
रजत
16
कांस्य
23
“कैसे खेलना है, इसके एक्सपर्ट आप हैं। मैं बस इतना कहूंगा- जी भरकर खेलिएगा, जमकर खेलिएगा, पूरी ताकत से खेलिएगा और
बिना किसी टेंशन से खेलिएगा। आप सिर्फ अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर ध्यान लगाएं, बाकी चिंता देश करेगा।” बर्मिंघम जाने से पहले पीएम मोदी से मिले इस उत्साहवर्धक भरी थपकी और खेलो इंडिया के साथ टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) में मिले सहयोग का असर राष्ट्रमंडल खेल 2022 में दिखा… टॉप्स कोर ग्रुप के करीब डेढ़ दर्जन खिलाड़ियों और दोनों हॉकी टीमों ने जीते मेडल और रचा
इतिहास… स्क्वैश, लंबी कूद, पैदल चाल और पुरुष स्टीपलचेज में बनाया रिकार्ड शूटिंग और तीरंदाजी के बिना 22 स्वर्ण सहित जीते 61 पदक राष्ट्रमंडल खेल के 19 खेलों में भारतीय दल के 215 खिलाड़ी हिस्सा लेने गए, इस बार शूटिंग और तीरंदाजी जैसे खेल शामिल नहीं होने के बावजूद 22 स्वर्ण सहित 61 पदक जीते। साथ में लॉन बॉल्स, ट्रिपल जंप, बैटमिंटन पुरुष डबल्स में स्वर्णिम इतिहास रचा तो स्क्वैश सिंगल्स में पहला भारतीय पदक, लंबी कूद में 44 साल बाद पदक, 10,000 मीटर पैदल चाल में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला, पुरुष स्टीपलचेज में केन्या का वर्चस्व तोड़ा और भाला फेंक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला का नया रिकॉर्ड कायम किया। पदकों की बात करें तो पुरुषों ने 13 स्वर्ण सहित 35 पदक, महिलाओं ने 8 स्वर्ण सहित 23 पदक और मिश्रित प्रतियोगिताओं में एक स्वर्ण सहित 3 पदक खिलाड़ियों ने जीते हैं। अनजान खेल ‘लॉन बॉल्स’ में भारत को दो पदक राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीयों के लिए अंजान खेल ‘लॉन बॉल्स’ में भारत की महिला टीम ने स्वर्ण पदक और पुरुष टीम ने रजत पदक जीतकर न सिर्फ सबको आश्चर्यचकित किया बल्कि इस खेल के प्रति भारतीयों की जिज्ञासा और रूचि बढ़ाने का काम भी किया है। महिला टीम की सदस्य लवली चौबे, पिंकी, रूपा रानी और नयन मोनी सैकिया शामिल थीं, इन्होंने स्वर्ण पदक जीता तो प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा- बर्मिंघम में ऐतिहासिक जीत! टीम ने बेहद निपुणता का प्रदर्शन किया है और उनकी सफलता कई भारतीयों को लॉन बाॅल्स के खेल को अपनाने के लिए प्रेरित करेगी। राष्ट्रमंडल खेलों में 1930 से हिस्सा रहे इस लॉन बॉल्स खेल में पुरुषों की चौकड़ी टीम ने रजत पदक जीता। टीम के सदस्य नवनीत सिंह, चंदन कुमार सिंह, सुनील बहादुर और दिनेश कुमार थे। 10 हजार मीटर पैदल चाल में पहला पदक यूपी की रहने वाली प्रियंका गोस्वामी ने 10 हजार मीटर की पैदल चाल में रजत पदक जीतकर अपने नाम रिकॉर्ड दर्ज करवा लिया है। पैदल चाल में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। प्रियंका के पिता मदनपाल गोस्वामी यूपी रोडवेज में कंडक्टर थे। जब वह 14 साल की थी, तभी अचानक पिता की नौकरी चले जाने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। 2018 में खेल कोटा से इन्हें रेलवे में नौकरी मिली तो उत्साह बढ़ा और अधिक मेहनत की। ओलंपिक में भी प्रतिनिधित्व कर चुकी लेकिन पदक नहीं मिला था।
ट्रिपल जंप में भारत का पहला स्वर्ण पदक केरल के रहने वाले एल्डोस पॉल राष्ट्रमंडल खेलों की ट्रिपल जंप प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। वह नौसेना के जवान हैं। फाइनल मुकाबले में उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 17.03 मीटर की सर्वश्रेष्ठ दूरी तय की। इसी प्रतियोगिता मेें अब्दुल्ला अबुबकर ने 17.02 मीटर की दूरी तय करके रजत पदक जीता है।
लंबी कूद में 44 साल बाद पदक मुरली श्रीशंकर ने 8.08 मीटर की लंबी छलांग लगाकर भारत को लंबी कूद में 44 साल बाद पदक
दिलाकर नया इतिहास रचा है। इससे पहले 1978 में सुरेश बाबू ने राष्ट्रमंडल खेल में कांस्य पदक जीता था। टॉप्स योजना के कोर ग्रूप के सदस्य मुरली शंकर का सपना देश के लिए ओलंपिक मेडल जीतने का है।
स्टीपलचेज 3000 मीटर में पहली बार पदक आर्मी मैन अविनाश साबले ने पुरुष स्टीपलचेज में केन्या का एकछत्र राज खत्म किया है। 1998 से लगातार 3000 मीटर के स्टीपचेज प्रतियोगिता में तीनों पदक जीतने वाले केन्या के खिलाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए टॉप्स कोर ग्रुप के सदस्य अविनाश साबले ने राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और कॉमनवेल्थ गेम्स की इस प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल करने वाले पहले भारतीय बने।
महिला हॉकी टीम 16 साल बाद पोडियम पर टोक्यो ओलंपिक 2020 के नजदीकी मुकाबले में कांस्य पदक से चूकने के बाद राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारतीय महिला हॉकी टीम ने पदक अपने नाम किया। 2002 में कांस्य और 2006 में रजत पदक जीतने के बाद से राष्ट्रमंडल खेल में महिला हॉकी टीम का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। विशेष बात यह है कि सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए मुकाबले के पेनल्टी शूटआउट में कुछ सेंकेंड के लिए घड़ी बंद होने के कारण भारत को हार का सामना करना पड़ा था। जेवलिन थ्रो (महिला): पहली बार खुला खाता भारत के 88 साल के राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में भाला फेंक यानी जेवलिन थ्रो में पदक जीतने
वाली अन्नू रानी पहली भारतीय महिला बन गई हैं। अन्नू के पिता अमरपाल सिंह किसान हैं जिन्होंने बेटी का सपना पूरा करने के लिए डेढ़ लाख का कर्ज लेकर भाला खरीदा था। अभ्यास के लिए शुरुआती दिनों में चंदे के पैसे से अन्नू के लिए जूते भी खरीदे थे। गांव की पगडंडियों पर गन्ने का भाला बनाकर प्रैक्टिस करती थी। उनके भाई एथलीट थे जिन्होंने अपना खेल त्यागा और अन्नू को आगे बढ़ाने में जुट गए।
जिनका संघर्ष करता है प्रेरित अचिंता वेटलिफ्टिंग के 74 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक टॉप्स के डेवलपमेंटल ग्रुप के सदस्य अचिंता शेउली ने वेटलिफ्टिंग में स्वर्ण पदक जीता है। इनका संघर्ष खिलाड़ियों को प्रेरित करेगा। पिता का 2013 में देहांत हो गया। आर्थिक तंगी इतनी ज्यादा था कि पिता का संस्कार करने के लिए भी पैसे नहीं थे।
हरजिंदर कौर, वेटलिफ्टिंग के 71 किलो वर्ग में कांस्य हरजिंदर का परिवार एक कमरे के घर में रहता है। घर में 6 भैंसे पाली हुई थी। हरजिंदर खुद पशुओं के लिए चारा काटने वाली मशीन चलाती हैं। शुरुआत में प्रैक्टिस और कंपीटिशन के लिए पहले गांव में पैसे उधार लिए और फिर बैंक से 50 हजार रुपये लोन लेना पड़ा। राष्ट्रमंडल खेल में मेडल जीत लिया। 2017 में हरजिंदर स्टेट चैंपियन बनी थीं।
संघर्ष के रास्ते पर चलकर पोडियम तक पहुंचे सागर सागर के पिता पट्टे की जमीन पर खेती करते हैं। कोरोना काल में भी अभ्यास जारी रखा। बॉक्सिंग के 92 किग्रा में वर्ग में जीता रजत पदक उनके और उनके परिवार के संघर्ष का ही परिणाम है।
और पीएम मोदी ने निभाया वादा राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारतीय दल को विदा करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे वादा किया
था कि जब वो जीतकर लौटेंगे तब मिलकर जीत का जश्न मनाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने वादा निभाते हुए 13 अगस्त को अपने आवास पर खिलाड़ियों से मुलाकात की जिसमें उन्होंने कहा, यह गौरव की बात है कि हमारे खिलाड़ियों की शानदार मेहनत के कारण देश एक प्रेरक उपलब्धि के साथ आजादी के अमृत काल में प्रवेश कर रहा है। राष्ट्रमंडल खेल में शानदार प्रदर्शन को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा, पदकों की संख्या पूरी कहानी को प्रतिबिंबित नहीं करती है क्योंकि कई पदक बहुत कम अंतर से मिलने से रह गए, जिन्हें जल्द ही निर्धारित खिलाड़ी भविष्य में फिर से हासिल करने में सफल होंगे। भारत ने पिछली बार की तुलना में 4 नए खेलों में जीत का नया मार्ग तलाश लिया है। इस प्रदर्शन से देश में युवाओं का नए खेलों के प्रति रुझान काफी बढ़ने वाला है। पर्दापण करने वाले खिलाड़ियों ने 31 पदक जीते हैं, यह युवाओं के बढ़ते आत्मविश्वास को दर्शाता है। पीएम मोदी ने खेलो इंडिया और टॉप्स के सकारात्मक प्रभाव पर प्रसन्नता व्यक्त करके खिलाड़ियों से आगामी एशियाई खेल और ओलंपिक की अच्छी तैयारी का आग्रह किया।
हमारे पास एक खेल इकोसिस्टम बनाने की जिम्मेदारी है जो विश्व स्तर पर उत्कृष्ट, समावेशी, विविध और गतिशील है और इसमें किसी भी प्रतिभा को पीछे नहीं छूटना चाहिए।
-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री