अनूपपुर. जिला कांग्रेस में गुटबाजी एक बार फिर सड़क पर खुलकर सामने आ गई। हाल ही में अनूपपुर प्रवास पर आए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के कार्यक्रम के दौरान यह फूट साफ दिखाई दी। जिला कांग्रेस अध्यक्ष गुड्डू चौहान द्वारा बिना समन्वय समिति की बैठक के मात्र विधायक पुष्पराजगढ़ फुन्देलाल सिंह से चर्चा कर कार्यक्रम की रुपरेखा तय कर ली गई, जिससे कांग्रेस संगठन की किरकिरी हुई।
इसी बीच जिला मुख्यालय में पूर्व जिलाध्यक्ष रमेश सिंह, पूर्व विधायक सुनील सराफ और वरिष्ठ नेता आशीष त्रिपाठी के नेतृत्व में आयोजित स्वागत समारोह में भारी भीड़ उमड़ी, जिसे देखकर नेता प्रतिपक्ष गदगद हो गए। वहीं कार्यकर्ताओं का मानना है कि सत्ता से बाहर होते ही कांग्रेस में “बड़ा नेता” बनने की होड़ ने संगठन को कमजोर किया है, जिसका परिणाम रहा कि कांग्रेस अपनी जीती हुई सीटें भी गंवा बैठी।
नर्मदा महोत्सव से शुरू हुआ पतन
जिले में कांग्रेस का पतन वर्ष 2020-21 में अमरकंटक में आयोजित नर्मदा महोत्सव से शुरू हुआ था। मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में आदिवासी नेता व विधायक बिसाहूलाल सिंह की उपेक्षा कर उन्हें अपमान का सामना करना पड़ा। अपमान से आहत बिसाहूलाल सिंह ने पार्टी से किनारा कर भाजपा का दामन थाम लिया और कांग्रेस को करारी शिकस्त दी।
इसके बावजूद, संगठन ने पार्टी तोड़ने वाले विधायक को जिला अध्यक्ष बना दिया, जिसने स्थिति को और बिगाड़ दिया।पुष्पराजगढ़ विधायक के जिलाध्यक्ष रहते हुए संगठन पूरी तरह कमजोर हुआ। उन्होंने जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी छोड़ केवल विधायक के दायित्वों तक खुद को सीमित रखा, जिससे कार्यकर्ता निराश और मायूस होते चले गए और कांग्रेस का जनाधार घटता गया। इसका सीधा लाभ भाजपा को मिला।
गुटबाजी की जड़ें गहरी
जिला कांग्रेस में दशकों से चली आ रही गुटबाजी खत्म करने के लिए प्रदेश नेतृत्व ने प्रशासनिक सेवाओं से राजनीति में आए रमेश सिंह को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी।
उन्होंने जिला पंचायत चुनाव में भाजपा को मात देते हुए अध्यक्ष पद कांग्रेस को दिलाया, परंतु संगठन के अन्य नेताओं का सहयोग उन्हें भी नहीं मिला। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कई नेताओं को निष्कासित किया गया, लेकिन बाद में उन्हीं नेताओं को दोबारा प्रमुख जिम्मेदारियां सौंप दी गईं।
आज स्थिति यह है कि एक ओर जिलाध्यक्ष गुड्डू चौहान और विधायक फुंदेलाल सिंह का गुट सक्रिय है, तो दूसरी ओर पूर्व अध्यक्ष रमेश सिंह और पूर्व विधायक सुनील सराफ का गुट अपना असर बनाए हुए है। लगातार जारी इस गुटबाजी ने संगठन को जमीनी स्तर पर कमजोर कर दिया है।
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अब देखना यह होगा कि आपसी मतभेद और शक्ति प्रदर्शन में उलझी कांग्रेस जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर पाती है या फिर चारदीवारी तक सिमटकर रह जाएगी।