मझौली सीधी. टोंको-रोंको-ठोंको क्रन्तिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी बताया है की उपभोक्ताओं की सहमति के बिना बिजली के स्मार्ट प्रीपेड मीटर नहीं लगाए जा सकते हैं। विद्युत अधिनियम वर्ष 2003 के अनुसार किसी भी उपभोक्ता के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने से पहले उसकी सहमति लेना जरूरी है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) उपभोक्ताओं को प्रीपेड अथवा पोस्टपेड चुनने का विकल्प देती है।
स्मार्ट मीटर का विरोध जरुरी
केंद्र सरकार के निर्देश पर सभी स्तर के बिजली उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने और टीओडी (टाइम ऑफ डे) सिस्टम पर बिल देने का निर्देश दिया है। इस प्रिपेड स्मार्ट मीटर के लिए स्मार्टफोन की तरह ही पहले पैसा भराना होगा तभी मीटर से बिजली मिल पाएगी जिसके चलते सभी सब्सिडी खत्म हो जाएगी।
स्मार्ट मीटर में डायनेमिक फेयर प्राइसिंग सिस्टम से प्रति यूनिट बिजली की कीमत तय होगी यानी बिजली की मांग जैसे-जैसे बढ़ेगी वैसे-वैसे प्रति यूनिट बिजली की कीमत भी बढ़ेगी।
उपभोक्ता का बिजली बिल बढ़कर आएगा। स्मार्ट मीटर से गांव में रहने वाले लोग गहरे संकट में फंस जाएंगे क्योंकि अग्रिम पैसे से बिजली खरीद कर किसान खेती का कार्य नहीं कर सकता। शिकायत के समाधान की जटिल और उलझाऊ प्रक्रिया है।
स्मार्ट मीटर के दुष्परिणामों के चलते गुना, भोपाल, ग्वालियर, अशोक नगर, सीहोर, विदिशा सहित कई जिलों में स्मार्ट मीटर का जमकर विरोध शुरू हो गया है।
पुराने डिजिटल मीटर बदलकर आखिर नई स्मार्ट मीटर क्यों लगाये जा रहे हैं?
प्रचलित डिजिटल मीटर बिजली की खपत को बहुत सटीकता से मापने में सक्षम है। करोड़ों रुपए की लागत वाले इन डिजिटल मीटरो को कूड़ेदान में फेंक कर बर्बाद किया जा रहा है और फिर से करोड़ों रुपए खर्च कर स्मार्ट मीटर खरीदे जा रहे हैं जो पैसे उपभोक्ताओं से वसूले जाएंगे।
इन स्मार्ट मीटरों को मोबाइल सेट की तरह ही हर 5 से 6 साल में बदलना होगा और इसकी लागत भी बिजली उपभोक्ता से फिर से वसूली जाएगी। खबर है कि स्मार्ट मीटर लगाने के लिए अदानी समूह को टेंडर मिला है।
लाखों बिजली कर्मचारी निकाले जाएंगे
जिन बिजली कर्मचारियों द्वारा आज डरा धमका कर उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर लगवाने के लिए बाध्य किया जा रहा है उन्हें यह समझना होगा कि जैसे ही स्मार्ट मीटर लग जाएंगे कंपनी की गाज सबसे पहले उन्ही पर ही गिरेगी और उन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जायेगा।
स्मार्ट मीटर की रीडिंग देखने के लिए मीटर रीडर की जरूरत नहीं होगी कनेक्शन काटने या जोड़ने के लिए किसी की जरूरत नहीं होगी यह व्यवस्था पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नियंत्रण में होगी अतः इस योजना से एक झटके में लाखों कर्मचारियों को निकाल दिया जाएगा यह सिस्टम पूरी तरह से यंत्रीकृत होने की वजह से बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छटनी होगी, भविष्य में नए सिरे से रोजगार की कोई संभावना नहीं रहेगी।