राष्ट्र की प्रगति में केंद्र और राज्य का मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है। अमृत काल में विकसित
भारत बनाने को संकल्पित राष्ट्र के लिए संघीय ढांचे की भावना का सम्मान और साथ लेकर चलना
ही नए भारत की आधारशिला बन सकती है…
n· संघीय ढांचे की भावनाओं का आदर करते हुए हम कंधे से कंधा मिलाकर इस अमृतकाल में चलेंगे
तो सपने साकार होकर रहेंगे। कार्यक्रम भिन्न हो सकते हैं, कार्यशैली भिन्न हो सकती है लेकिन
संकल्प भिन्न नहीं हो सकते, राष्ट्र के लिए सपने भिन्न नहीं हो सकते।
n·जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था। केंद्र में हमारे विचार की सरकार नहीं थी, लेकिन मेरे गुजरात में
हर जगह पर मैं एक ही मंत्र लेकर चलता था कि भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास।
भारत का विकास हम कहीं पर भी हों, हम सबके मन मस्तिष्क में रहना चाहिए।
n·हमारे देश के कई राज्य हैं, जिन्होंने देश को आगे बढ़ाने में बहुत भूमिका अदा की है, नेतृत्व किया
है, कई क्षेत्रों में अनुकरणीय काम किए हैं। ये हमारे संघवाद को ताकत देते हैं। लेकिन आज समय की
मांग है कि सहकारी संघवाद के साथ-साथ सहकारी प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद की है, हमें विकास की
स्पर्धा की जरूरत है।
n·हर राज्य को लगना चाहिए कि वो राज्य आगे निकल गया। मैं इतनी मेहनत करूंगा कि मैं आगे
निकल जाऊंगा। उसने यह 10 अच्छे काम किए हैं, मैं 15 अच्छे काम कर के दिखाऊंगा। उसने तीन
साल में पूरा किया है मैं दो साल में कर के दिखाऊंगा। सरकार की सभी इकाइयों के बीच में वो
स्पर्धा का वातावरण चाहिए, जो हमें विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए प्रयास करे।
हम जिस प्रकार से संकल्प को लेकर चल पड़े है दुनिया इसे देख रही है, और आखिरकार विश्व भी
उम्मीदें लेकर जी रहा है।
उम्मीदें पूरी करने का सामर्थ्य कहां पड़ा है वो उसे दिखने लगा है। मैं इसे त्री- शक्ति के रूप में
देखता हूं।
75 साल का कालखंड कितना ही शानदार रहा हो, कितने ही संकटों वाला रहा हो, कितने ही चुनौतियों
वाला रहा हो, उसके बावजूद भी आज जब हम अमृतकाल में प्रवेश कर रहे हैं अगले 25 वर्ष हमारे देश
के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें इन पंच प्रण को लेकर सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठा कर
चलना होगा।–नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री