जबलपुर,देशबन्धु. हमें अपनी सनातन संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए खुद आगे आना होगा, जब पहले हम जागेंगे, तब जग जागेगा, दरअसल हिंदू नववर्ष के पूर्व श्री दक्षिणेश्वर सत्य मारुति भगवान काल बजरंग बड़े सरकार मंदिर परिसर शिमला हिल्स कॉलोनी शारदा चौक जबलपुर में रात्रि संध्या के दौरान जनमानस को संदेश देते हुए अवधूत सिद्ध महायोगी दादागुरु ने कहा कि सभी सनातनी यज्ञ ,पूजन, अनुष्ठान, मठ एवं मंदिर और घर में पूजन पाठ के साथ साथ तमाम धार्मिक आयोजनों में सनातनी वेशभूषा धोती या गमछा का उपयोग कर ही उक्त धार्मिक कार्य करते हुए धर्म लाभ अर्जित करें।
इस दौरान अवधूत सिद्ध महायोगी दादागुरु ने कहा कि धोती या गमछा का उपयोग करें एवं इस पर गर्व करें कि हमारी परंपराएं जो पूर्वजों द्वारा अपनाई गई हैं, सभी किसी न किसी कारणवश पूर्ण वैज्ञानिक एवं तार्किक हैं। यह वेशभूषा पुरातन काल और सालों साल से अपनाई जा रही है, श्री दादागुरु कहते हैं कि यह वेशभूषा धारण करना कोई नियम नहीं है यह हमारी सनातन संस्कृति है। हम देवी-देवताओं को पूजते हैं ध्यान, अनुष्ठान, यज्ञ, मठ, मंदिर आदि तमाम धार्मिक आयोजनों में धोती या गमछा का उपयोग कर ही धार्मिक कार्य करें।
अवधूत सिद्ध महायोगी दादागुरु ने कहा है कि हम युवाओं से कहते हैं कि देखो दुनिया हमारे ओर देख रही है और हमारी संस्कृति को अपना रही है, हमें देख दूसरा जान जाए कि हमारी संस्कृति कि जीवंतता क्या हैं, हम शादी विवाह में भी जाते हैं तो वस्त्रों का चयन करते हैं, यहां तक सोते समय में व अन्यत्र कार्यों के लिए भी वस्त्रों का निर्धारण करते हैं, तो फिर हम पूजन पाठ के लिए हमारी सनातन संस्कृति की वेशभूषा का उपयोग करते हैं, हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम अपने इष्ट देव को आराध्य को पूज रहे हैं, तो उनकी मर्यादा का हमें विशेष ध्यान रखना होगा, इसलिए सभी सनातनियों के लिए यह संदेश है कि नव वर्ष से हम पूजन,पाठ, अनुष्ठान, मठ एवं मंदिर में अपनी सनातनी वेशभूषा का ध्यान रखकर ही धार्मिक कार्यों को करने की परम्परा का पालन करें और सभी से करवाएं और अब इसे एक मिशन के रूप में तमाम सनातनियों को लग जाना चाहिए।