दमोह, देशबन्धु. मध्य प्रदेश के दमोह शहर की नौगजा पहाड़ी, जो समुद्र तल से 432 मीटर ऊंचाई पर स्थित है, रहस्यमयी शिला के कारण चर्चा में रहती है. यह शिला करीब 12 फीट लंबी और 6 फीट चौड़ी है, जबकि आसपास कोई अन्य पत्थर नहीं पाया जाता. इतिहासकारों और भू-गर्भशास्त्रियों के लिए यह शिला अब भी रहस्य बनी हुई है.
पहाड़ी पर मौजूद शिला दमोह शहर की तीन पहाड़ियों के बीच में नौगजा पहाड़ी सबसे ऊंची है. यहां रखी एक शिला बड़ी रहस्यमय है, क्योंकि आसपास कहीं पत्थर का नामों निशान नहीं है. वहां यह शिला मौजूद है. शिवा जी घोड़े से जुड़ी किवदंती भी यहां प्रचलित है.
इसका शिखर समुद्र तल से 432 मीटर ऊंचाई पर स्थित है. दमोह दीपक पुस्तक के अनुसार सन् 1900 से पहले भी इस पहाड़ी को नौगजा पहाड़ी के नाम से ही जाना जाता है. इस पहाड़ी के ऊपर एक विशाल शिला रखी हुई है, जिसकी लंबाई करीब 12 फीट और चौड़ाई 6 फीट है.
इस शिला के नीचे एक विशाल गुफा भी बनी हुई है. उसके अंदर इतनी जगह है कि 15 लोग आसानी से बैठ सकते हैं. कई टन वजनी शिला इतिहासकार विनोद श्रीवास्तव के अनुसार इस पहाड़ी पर रखी शिला आज भी भू-गर्भशास्त्रियों के लिए रहस्य बनी हुई है. करीब एक किमी लंबी पहाड़ी पर और कहीं पर भी कोई पत्थर नहीं है, जबकि यह कई टन वजनी एकमात्र शिला रखी हुई है.
इस शिला जैसी एक अन्य शिला रायसेन जिले की पहाड़ी पर भी है. उसके संबंध में भारतीय भू- सर्वेक्षण विभाग के अभिलेख 113 भाग 2 में इसका उल्लेख है. इस तरह यह शिला जिले के लिए बहुत बड़ी धरोहर है.
ये है किवदंती
इस शिला के संबंध में किवदंती है शिवाजी का घोड़ा गजानन टेकरी से नौगजा पहाड़ी के उसी पत्थर पर कूदा था. जिसके चलते शिला पर घोड़े की टाप के निशान बन गए थे. इसके साथ ही घोड़े का एक पैर फिसलने के कारण शिला पर कुछ जगह चिकनी हो गई थी. हालांकि अब यह निशान अस्पष्ट हो गए हैं. सीएमओ प्रदीप शर्मा का कहना है कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है. मैं स्वयं वहां जाकर देखूंगा कि वहां क्या संरक्षण हो सकता है.