तेंदूखेड़ा, देशबंधु. राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रतीक पुरुष स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों से परिपूर्ण राष्ट्रीय सेवा योजना का लक्ष्य बहुत व्यापक है इसका उद्देश्य युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक, और नैतिक व्यक्तित्व का सृजन करना है, इससे जुड़कर छात्र अपने व्यक्तित्व को सजाता है, संवारता है आज का युवा छात्र कल का आदर्श नागरिक बनता है. राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ना सूरज की पहली किरण से साक्षात्कार करने जैसा है वास्तव में यह युवा शक्ति को बेहतर बनाने की प्रयोग शाला है.
उसकी दिनचर्या व्यवस्थित होती है समय का पाबंद होकर युवा साधना के पथ का राही हो जाता है. युवा की दिनचर्या रत्न के समान उसे चमकदार बनाती है और मानवीय चेतना का विकास उसे व्यवहार कुशल बना देता है. निश्चित रूप से युवा के अंदर सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का खजाना छिपा होता है वह रा. से.यो. के माध्यम से सकारात्मकता का साधक बन जाता है उसे सामाजिक सरोकारों के उच्च एवं श्रेष्ठ कार्यक्रमों के माध्यम से, उसमें रुचि पैदा होती है उसके लिए ऊँच नीच, जात पाँति, क्षेत्रीयता आदि निरर्थक हो जाते हैं.
इस प्रकार धर्म और आदर्श का छोटा सा वर्ग, उसे संतुष्टि प्रदान करता है. रा० से०यो० स्वअनुशासन, स्वावलंबनसेवा, सामाजिक सरोकार, सहिष्णुता, सद्भाव व एकता की भावना के साथ युवा पीढ़ी में गतिशीलता के साथ मुखरता एवं उनमें रचनात्मकता का विकास करते हुए एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका का निर्वहन हेतु राष्ट्रकी सेवा करने समाज को जागृत करने और सच्चे सांस्कृतिक मूल्यों की नई पीढ़ी को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.
देश के महान् शिक्षाविदों एवं योजनाकारों की शतशतभावधारा एवं श्रम धारा का प्रवाह मान मूर्त रुप है. राष्ट्रीय सेवा योजना आज सेवर्षो पूर्व, इस योजना की गतिविधियाँ इस परिकल्पना के साथ आरंभ हुई थीं कि जहाँ एक ओर शिक्षकों और छात्रों के व्यक्तित्व निर्माण का माध्यम् बनकर अपने चिंतन और प्रदर्शन से जनमानस को अभिसिंचित कर जागरूक करेगी और वही दूसरी ओर सामाजिक मूल्य भी स्थापित करेगी.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रारंभ से ही छात्रों को राष्ट्रीय सेवा के प्रति जागरुक करने का प्रयत्न होता रहा है. सन् 1950 में प्रथम शिक्षा आयोग ने विद्यार्थियों को राष्ट्रीय सेवा के लिए भावना के आधार पर प्रवेश के लिए संस्तुति की. इसके साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के सुझाव पर डां. सी.डी. देशमुख की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया गया. जिसका उद्देश्य छात्रों को स्नातक कक्षाओं में प्रवेश से पूर्व राष्ट्रीय सेवा अनिवार्य रूप से करनी थी. वर्ष 1969 को महात्मा गांधी का शताब्दी वर्ष था उसी समय इस योजना को प्रारंभ किया गया.राष्ट्रीय सेवा योजना व्यक्तित्व विकास का एक अनूठा माध्यम है.
प्रत्येक राष्ट्र की वास्तविक “जीवन शक्ति उसकी युवा शक्ति” में निहित होती है. युवाओं में असीम अनंत और अथाह ऊर्जा का भंडार होता है. राष्ट्र का स्वरूप, विकास और अस्तित्व युवा शक्ति के चरित्र पर ही निर्भर करता है. युवा शक्ति में राष्ट्रीयता, देश प्रेम, संस्कृति एवं मातृभूमि के प्रति समर्पण, परोपकार, साहस, दृढ़ संकल्प, वीरता, धैर्य आदि सात्विक गुणों से परिपूर्ण राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना अपने आप में एक चुनौती पूर्ण कार्य होता है.
दरिद्र, दीन, हीन और असहाय मानव की सेवा को सर्वोपरि धर्म मानने वाले राष्ट्रीय सेवा योजना की प्रेरणा शक्ति और प्रतीक पुरुष स्वामी विवेकानंद जी ने युवा शक्ति में आधुनिक भारत को गढ़ने का स्वप्न देखा था.इस संकल्प सिद्धि को पूर्ण करने के लिए आदरणीय संस्था प्रबंध निदेशक डॉ. प्रकाश जैन एवं शह प्रबंधक किरण प्रभा जैन ने अपने विद्यालय में अध्ययनरत् छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व विकास के लिए भारत सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई खोलने का संकल्प लिया और दिसम्बर 1999-2000 से विद्यालय में इकाई सक्रिय रूप से कई उपलब्धियों और समाज सेवी कार्यक्रमों के माध्यम से अपने रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर रही है.
इस 25 वर्षों की अनथक यात्रा में इकाई को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर एस के भारती, डॉ संजय अवस्थी, डॉ अशोक कुमार मराठे, एवं वर्तमान कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर शोभाराम मेहरा जिला संगठक डॉक्टर यूसी विश्वकर्मा, डॉ एस के एस यादव, डॉ आर के आचार्य, डॉ यूएस परमार डॉ दिलीप पाठक वर्तमान विद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य स्वर्गीय श्री तुलसीराम त्रिपाठी जी स्वर्गीय श्री एन पी नारोलिया एवं वर्तमान प्राचार्य श्री कमल कुमार जैन के कुशल मार्ग निर्देशन में इकाई ने उल्लेखनीय कार्य करते हुए विभिन्न उपलब्धियां को अर्जित किया है इकाई द्वारा गाँव-गाँव में 10 दिवसीय, सात दिवसीय, त्रिदिवसीय, दो दिवसीय एवं एक दिवसीय शिविरों का आयोजन करके गांव-गांव में जागरूता की अलख जगाई एवं नियमित गतिविधिकार्यक्रमों के माध्यम से उल्लेखनीय कार्य किये.
आज का युवा छात्र कल का आदर्श नागरिक बनता है” राष्ट्रीय सेवा योजना स्थापना दिवस 24 सितम्बर पर विशेष
राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रतीक पुरुष स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों से परिपूर्ण राष्ट्रीय सेवा योजना का लक्ष्य बहुत व्यापक है इसका उद्देश्य युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक, और नैतिक व्यक्तित्व का सृजन करना है, इससे जुड़कर छात्र अपने व्यक्तित्व को सजाता है, संवारता है आज का युवा छात्र कल का आदर्श नागरिक बनता है.
राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ना सूरज की पहली किरण से साक्षात्कार करने जैसा है वास्तव में यह युवा शक्ति को बेहतर बनाने की प्रयोग शाला है. उसकी दिनचर्या व्यवस्थित होती है समय का पाबंद होकर युवा साधना के पथ का राही हो जाता है. युवा की दिनचर्या रत्न के समान उसे चमकदार बनाती है और मानवीय चेतना का विकास उसे व्यवहार कुशल बना देता है. निश्चित रूप से युवा के अंदर सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का खजाना छिपा होता है वह रा. से.यो. के माध्यम से सकारात्मकता का साधक बन जाता है उसे सामाजिक सरोकारों के उच्च एवं श्रेष्ठ कार्यक्रमों के माध्यम से, उसमें रुचि पैदा होती है उसके लिए ऊँच नीच, जात पाँति, क्षेत्रीयता आदि निरर्थक हो जाते हैं इस प्रकार धर्म और आदर्श का छोटा सा वर्ग, उसे संतुष्टि प्रदान करता है.
रा० से०यो० स्वअनुशासन, स्वावलंबनसेवा, सामाजिक सरोकार, सहिष्णुता, सद्भाव व एकता की भावना के साथ युवा पीढ़ी में गतिशीलता के साथ मुखरता एवं उनमें रचनात्मकता का विकास करते हुए एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका का निर्वहन हेतु राष्ट्रकी सेवा करने समाज को जागृत करने और सच्चे सांस्कृतिक मूल्यों की नई पीढ़ी को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. देश के महान् शिक्षाविदों एवं योजनाकारों की शतशतभावधाराएवं श्रम धारा का प्रवाह मान मूर्त रुप है. राष्ट्रीय सेवा योजना आज सेवर्षो पूर्व, इस योजना की गतिविधियाँ इस परिकल्पना के साथ आरंभ हुई थीं कि जहाँ एक ओर शिक्षकों और छात्रों के व्यक्तित्व निर्माण का माध्यम् बनकर अपने चिंतन और प्रदर्शन से जनमानस को अभिसिंचित कर जागरूक करेगी और वही दूसरी ओर सामाजिक मूल्य भी स्थापित करेगी.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रारंभ से ही छात्रों को राष्ट्रीय सेवा के प्रति जागरुक करने का प्रयत्न होता रहा है. सन् 1950 में प्रथम शिक्षा आयोग ने विद्यार्थियों को राष्ट्रीय सेवा के लिए भावना के आधार पर प्रवेश के लिए संस्तुति की. इसके साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के सुझाव पर डां. सी.डी. देशमुख की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया गया. जिसका उद्देश्य छात्रों को स्नातक कक्षाओं में प्रवेश से पूर्व राष्ट्रीय सेवा अनिवार्य रूप से करनी थी. वर्ष 1969 को महात्मा गांधी का शताब्दी वर्ष था उसी समय इस योजना को प्रारंभ किया गया.राष्ट्रीय सेवा योजना व्यक्तित्व विकास का एक अनूठा माध्यम है. प्रत्येक राष्ट्र की वास्तविक “जीवन शक्ति उसकी युवा शक्ति” में निहित होती है. युवाओं में असीम अनंत और अथाह ऊर्जा का भंडार होता है.
राष्ट्र का स्वरूप, विकास और अस्तित्व युवा शक्ति के चरित्र पर ही निर्भर करता है. युवा शक्ति में राष्ट्रीयता, देश प्रेम, संस्कृति एवं मातृभूमि के प्रति समर्पण, परोपकार, साहस, दृढ़ संकल्प, वीरता, धैर्य आदि सात्विक गुणों से परिपूर्ण राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना अपने आप में एक चुनौती पूर्ण कार्य होता है. दरिद्र, दीन, हीन और असहाय मानव की सेवा को सर्वोपरि धर्म मानने वाले राष्ट्रीय सेवा योजना की प्रेरणा शक्ति और प्रतीक पुरुष स्वामी विवेकानंद जी ने युवा शक्ति में आधुनिक भारत को गढ़ने का स्वप्न देखा था.इस संकल्प सिद्धि को पूर्ण करने के लिए आदरणीय संस्था प्रबंध निदेशक डॉ. प्रकाश जैन एवं शह प्रबंधक किरण प्रभा जैन ने अपने विद्यालय में अध्ययनरत् छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व विकास के लिए भारत सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई खोलने का संकल्प लिया और दिसम्बर 1999-2000 से विद्यालय में इकाई सक्रिय रूप से कई उपलब्धियों और समाज सेवी कार्यक्रमों के माध्यम से अपने रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर रही है.
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इस 25 वर्षों की अनथक यात्रा में इकाई को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर एस के भारती, डॉ संजय अवस्थी, डॉ अशोक कुमार मराठे, एवं वर्तमान कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर शोभाराम मेहरा जिला संगठक डॉक्टर यूसी विश्वकर्मा, डॉ एस के एस यादव, डॉ आर के आचार्य, डॉ यूएस परमार डॉ दिलीप पाठक वर्तमान विद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य स्वर्गीय श्री तुलसीराम त्रिपाठी जी स्वर्गीय श्री एन पी नारोलिया एवं वर्तमान प्राचार्य श्री कमल कुमार जैन के कुशल मार्ग निर्देशन में इकाई ने उल्लेखनीय कार्य करते हुए विभिन्न उपलब्धियां को अर्जित किया है इकाई द्वारा गाँव-गाँव में 10 दिवसीय, सात दिवसीय, त्रिदिवसीय, दो दिवसीय एवं एक दिवसीय शिविरों का आयोजन करके गांव-गांव में जागरूता की अलख जगाई एवं नियमित गतिविधिकार्यक्रमों के माध्यम से उल्लेखनीय कार्य किये.
लेख आशुतोष नारायण नामदेव (राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी सर्वोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तेंदूखेड़ा)