नई दिल्ली. हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, खासकर भाद्रपद माह की अमावस्या का, जिसे पितरों को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दान-पुण्य, पूजा-पाठ और पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है. लेकिन इस वर्ष भाद्रपद अमावस्या की सही तिथि को लेकर संशय बना हुआ है कि यह 22 अगस्त को है या 23 अगस्त को.
ज्योतिषियों के अनुसार, भाद्रपद अमावस्या तिथि की शुरुआत 22 अगस्त को सुबह 08:35 बजे से होगी और यह 23 अगस्त को सुबह 09:25 बजे तक रहेगी. ऐसे में, उदया तिथि के अनुसार अमावस्या का स्नान, दान और तर्पण 23 अगस्त को करना सबसे उत्तम रहेगा.
भाद्रपद अमावस्या का महत्व और पितृ दोष से मुक्ति के उपाय:
इस दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
पवित्र स्नान: इस दिन पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है.
तर्पण और पिंडदान: पितरों की आत्मा की शांति के लिए जल में तिल मिलाकर तर्पण करना चाहिए.
दान-पुण्य: इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र और अन्न का दान करना बहुत शुभ माना जाता है.
पीपल के पेड़ की पूजा: भाद्रपद अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा करना और दीपक जलाना पितरों को प्रसन्न करता है.
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यह दिन उन लोगों के लिए भी खास है, जिनकी कुंडली में पितृ दोष है. सही विधि-विधान से पूजा और उपाय करने से इस दोष से मुक्ति पाई जा सकती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है.