नई दिल्ली. हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हरछठ व्रत (Har Chhath Vrat) मनाया जाता है. इस व्रत को ललई छठ, हरियाली छठ, बलराम जयंती, या पुत्र षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन महिलाएं संतान सुख, उसकी लंबी उम्र और आरोग्य के लिए व्रत रखती हैं और भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी तथा षष्ठी माता की पूजा करती हैं.
हरछठ 2025 कब है?
तिथि: मंगलवार, 19 अगस्त 2025
षष्ठी तिथि प्रारंभ: 18 अगस्त रात 10:15 बजे से
षष्ठी तिथि समाप्त: 19 अगस्त रात 8:50 बजे तक
हरछठ 2025 का व्रत मंगलवार, 19 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। इस दिन का शुभ मुहूर्त (Puja Muhurat) इस प्रकार है
पूजा का श्रेष्ठ समय:- 19 अगस्त 2025 को सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे तक (स्थानीय सूर्योदय के अनुसार)
हरछठ पूजा प्रातःकाल ही की जाती है। सूर्योदय के बाद से लेकर मध्याह्न से पहले का समय पूजा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
हरछठ पूजन विधि (Har Chhath Puja Vidhi):
1. सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें.
2. मिट्टी या गोबर से गाय और बछड़े की प्रतिमा बनाएं.
3. पूजा स्थल को साफ कर वहां ललना देवी (षष्ठी माता) की स्थापना करें.
4. कच्चा दूध, दही, लावा (चावल का भूजा), मटर, गुड़, केले, और फल आदि से पूजन करें.
5. महिलाएं गाय के गोबर से बनाए बछड़े और गाय को चढ़ावा चढ़ाती हैं.
6. कथा सुनने के बाद परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें.
हरछठ पूजा सामग्री:
* मिट्टी या गोबर की गाय और बछड़े की मूर्ति
* लावा (भुना चावल)
* दही, दूध, मटर, चना
* केले, मौसमी फल
* धूप, दीप, कुमकुम, रोली
* गंगाजल, कलश, मिठाई
* पूजा के लिए लकड़ी की चौकी या पाटा
हरछठ व्रत कथा (Har Chhath Vrat Katha):
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार एक स्त्री ने षष्ठी माता की पूजा का अनादर किया और उनका व्रत नहीं रखा. फलस्वरूप उसके सभी संतान काल के गाल में समा गईं. जब उसने अपनी गलती स्वीकार की और विधिपूर्वक हरछठ का व्रत किया, तब उसे पुत्र प्राप्ति हुई और सभी दुख समाप्त हो गए.
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हरछठ का महत्व:
* यह व्रत संतान सुख, आरोग्य और दीर्घायु के लिए रखा जाता है.
* विशेष रूप से गाय और बछड़े की पूजा से गौमाता का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
* यह पर्व परिवार की समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है.
* इसे बलराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जो शक्ति और संयम के प्रतीक हैं.