सावन माह की अमावस्या तिथि पर मनाया जाने वाला पर्व हरियाली अमावस्या आज पूरे श्रद्धा-भाव से मनाया जा रहा है. यह दिन न केवल भगवान श्रीहरि विष्णु और भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष है, बल्कि प्रकृति पूजा और पितृ तर्पण के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है. इस वर्ष यह तिथि और भी खास बन गई है, क्योंकि 25 साल बाद इस दिन चार महत्वपूर्ण शुभ योग एक साथ बन रहे हैं.
हरियाली अमावस्या का महत्व:
हरियाली अमावस्या सावन महीने की अमावस्या तिथि को आती है और इसका संबंध प्रकृति संरक्षण, पितृ शांति और शिव-हरि भक्ति से है. इस दिन वृक्षारोपण करना, दान करना, पवित्र नदियों में स्नान और भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है.
आज बन रहे शुभ योग:
ज्योतिषाचार्य डॉ. संदीप शुक्ला के अनुसार, इस वर्ष हरियाली अमावस्या पर चार शुभ योग बन रहे हैं:
हर्षण योग – सुबह 09:51 बजे तक
गुरु पुष्य योग – शाम 04:43 बजे से
अमृत सिद्धि योग – शाम 04:43 बजे से
सर्वार्थ सिद्धि योग – पूरे दिन
पुनर्वसु नक्षत्र – शाम 04:43 बजे तक
साथ ही शिववास योग भी दिन भर बना रहेगा
इन योगों में पूजा-पाठ और उपाय करने से सौभाग्य, धन, स्वास्थ्य और पितृदोष निवारण के स्थायी फल प्राप्त होते हैं.
पूजन-व्रत की विधि:
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान किया गया.
सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लिया गया.
भगवान विष्णु की पंचोपचार विधि से पूजा, विष्णु चालीसा और विष्णु स्तोत्र का पाठ किया जा रहा है.
दान-पुण्य का विशेष महत्व है.
पितृ तर्पण और पितृ दोष निवारण:
हरियाली अमावस्या पर पितरों को जलांजलि दी जा रही है. नर्मदा किनारे बड़ी संख्या में श्रद्धालु पिंडदान और पितृकर्म कर रहे हैं. मान्यता है कि आज के दिन किए गए पितृकर्म से पूर्वजों की आत्मा को शांति और परिवार को सुख-शांति मिलती है.
प्रकृति पूजा और पौधारोपण:
महिला मंडलों और सामाजिक संगठनों द्वारा हरित परिधान पहनकर वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया गया. “ग्रीन थीम” पर पर्व मनाया जा रहा है.
पूजन के शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:15 से 04:57 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:44 से 03:39 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:17 से 07:38 बजे तक
निशिता काल: रात 12:07 से 12:48 बजे तक