नई दिल्ली. शीतला अष्टमी का पर्व हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. 2025 में यह शुभ व्रत 22 मार्च यानी आज के दिन रखा जा रहा है. शीतला अष्टमी का पर्व मां शीतला देवी की आराधना के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है. इस दिन विशेष रूप से ठंडे भोजन का सेवन किया जाता है. इस दिन जो भक्त देवी शीतला माता की पूजा करते हैं और उन्हें मां की विशेष कृपा मिलती है. इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है.
तो चलिए देवी की पूजा विधि और प्रिय भोग के बारे में जानते हैं:-
शीतला अष्टमी पूजा विधि
स्नान और purification: सुबह जल्दी स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान तैयार करें: पूजा के लिए एक चटाई या आसन पर बैठें।
मूर्ति या चित्र का स्थापना: मां शीतला का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
दीप जलाएं: मां के आगे एक दीपक जलाएं।
पंच मेवा और ठंडा भोजन: मां को पंच मेवा (5 तरह के सूखे मेवे) और ठंडा भोजन अर्पित करें, जैसे कि कढ़ी, दही, और चावल।
मंत्र जाप: मां के सामने एक determinada संजीवनी मंत्र का जाप करें और प्रार्थना करें।
शीतला अष्टमी पूजा समय
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक.
मां शीतला पूजन मंत्र
शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता.
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः..
शीतला अष्टमी भोग
मीठे चावल – चावल को गुड़ और दूध में पकाकर प्रसाद तैयार करें. कहते हैं कि इससे स्वास्थ्य से जुड़ी मुश्किलें दूर होती हैं.
पूड़ी – गेहूं के आटे से बनी तली हुई पूड़ी बनाएं. माना जाता है कि इस भोग से जीवन में खुशहाली आती है.
हलवा – सूजी या आटे से बना मीठा हलवा तैयार करें. इस भोग से देवी का आशीर्वाद मिलता है.
गुलगुले – आटे और गुड़ से बने मीठे पकौड़े. कहा जाता है कि मां को गुलगुले चढ़ाने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है.
कैसे रखा जाता है व्रत?
शीतला अष्टमी के दिन कई भक्त व्रत रखते हैं. इस व्रत में वे दिन भर कुछ भी नहीं खाते हैं, सिर्फ पानी या फिर फलहारी से व्रत रखते हैं. व्रत शाम को शीतला माता की पूजा के बाद तोड़ा जाता है.
शीतला अष्टमी पर इन बातों का रखें ध्यान
इस दिन गरीबों को भोजन और कपड़े का दान करें.
मां शीतला के मंदिरों में दर्शन के लिए जाएं.
तामसिक चीजों से परहेज करें.
किसी के साथ विवाद करने से बचें.