श्रावण मास, भगवान शिव को समर्पित वर्ष का सबसे पवित्र माह माना जाता है. वर्ष 2025 में श्रावण सोमवार व्रत की शुरुआत 14 जुलाई से हो रही है. यदि आप इस बार व्रत व पूजा करने जा रहे हैं, तो शास्त्रों में वर्णित नियमों का पालन अवश्य करें, ताकि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो और महादेव का आशीर्वाद प्राप्त हो.
शिव पूजा और व्रत के आवश्यक नियम:
1. व्रत का वास्तविक स्वरूप समझें:
केवल भोजन बदलना व्रत नहीं है. व्रत का तात्पर्य संयम, नियम और साधना है. फलाहार या एक समय भोजन ही व्रत का सही तरीका है.
2. अर्धोपवास या पूर्ण उपवास:
एक समय भोजन और दूसरे समय फलाहार को अर्धोपवास माना जाता है. यदि दोनों समय केवल फलाहार करें तो पूर्ण उपवास कहलाता है.
3. सूर्योदय से पूर्व उठें:
स्नान करते समय जल में काले तिल मिलाएं. सूर्य को हल्दी युक्त जल अर्पित करें.
4. शिवलिंग की पूजा विधि:
तांबे के पात्र में शिवलिंग स्थापित कर अभिषेक करें. गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, काले तिल आदि से अभिषेक करने की परंपरा है.
5. पूजन सामग्री:
श्वेत पुष्प, चावल, पंचामृत, फल, सुपारी, सफेद चंदन और गंगाजल से शिव-पार्वती की पूजा करें.
6. मंत्र जाप:
‘ॐ नमः शिवाय’
महामृत्युंजय मंत्र
अघोर मंत्र
जो स्तोत्र याद हों, उनका भी पाठ करें.
7. पूजन के बाद शिव व्रत कथा सुनें और आरती के पश्चात भोग लगाएं, फिर उसे परिवार सहित ग्रहण करें. नमक रहित प्रसाद लें.
8. सोमवार के व्रत में विशेष सावधानियां:
दिन में सोना नहीं चाहिए.
एक निश्चित समय पर पूजन करें.
एक ही प्रकार का प्रसाद लें और एक ही स्थान पर बैठकर खाएं.
हर सोमवार एक विवाहित जोड़े को उपहार (फल, वस्त्र, मिठाई) दें.
शिवलिंग या वृक्ष पूजा की विधि:
यदि मंदिर न हो तो पीपल या बेल (बिल्व) वृक्ष के नीचे पूजा करें.
पूजन सामग्री जैसे बिल्व पत्र, अक्षत, पुष्प, गंगाजल, चंदन, घी, धूप आदि साथ लें.
शिव मंत्रों के साथ पूजन करें:
मंत्र उदाहरण:
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…” (महामृत्युंजय मंत्र)
“काशीवास निवासिनाम्… एक बिल्वं समर्पणम्”
“गंगोत्तरी वेग बलात्… काशीपति भक्तवत्सल”
अंत में क्षमा प्रार्थना करें:
“अपराधो सहस्राणि… क्षमस्व परमेश्वर”
शिव का वचन:
भगवान शिव ने स्वयं कहा है:
“पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति…”
जो व्यक्ति श्रद्धा से पत्र, पुष्प, फल या जल भी अर्पित करता है, वह मुझे प्रिय है. ऐसे भक्त कभी मेरी दृष्टि से दूर नहीं होते.
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विशेष तिथि – श्रावण नवमी:
कर्क संक्रांति के साथ आने वाली श्रावण नवमी (मृगशिरा नक्षत्र योग में) को अंबिका पूजन अवश्य करें. इससे जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.