कोतमा, देशबन्धु। जिले के नगर परिषद बनगांव (राजनगर) एक बार फिर विवादों में घिरता नजर आ रहा है। मामला वार्ड क्रमांक 11 स्थित सायडिंग के शिव मंदिर तालाब को लेकर सामने आया है, जहां पहले से स्वीकृत सौंदर्यीकरण कार्य के बाद अब उसी तालाब पर दोबारा गहरीकरण कार्य शुरू किए जाने की घोषणा ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारी के अनुसार पूर्व में नगर परिषद द्वारा इस तालाब के सौंदर्यीकरण हेतु 46 लाख का टेंडर जारी किया गया था। यह टेंडर 11.010 प्रतिशत एसओआर से कम दर पर ठेकेदार अनिल कुमार सिंह को एल 1 के रूप में मिला था, जिन्हें 7 जनवरी 2025 को कार्यादेश भी प्रदान कर दिया गया।
इसके बावजूद हाल ही में मुख्य नपाधिकारी द्वारा जारी एक अपील में बताया गया कि जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत इसी तालाब में 30 मार्च रविवार से गहरीकरण कार्य की शुरुआत की जाएगी।
इस दोहराव ने न केवल आम जनता को भ्रमित किया है, बल्कि आशंका भी उत्पन्न की है कि एक ही कार्य पर दो बार भुगतान लेने की साजिश रची जा रही है?
हालांकि मुख्य नपाधिकारी का कहना है कि इस गहरीकरण कार्य के लिए किसी प्रकार का भुगतान नहीं किया जाएगा। लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर यह कार्य बिना भुगतान के ही किया जा रहा है, तो फिर शासन की योजना के अंतर्गत इस कार्य को किसी अन्य तालाब पर क्यों नहीं लागू किया गया, जहां इसकी वास्तव में आवश्यकता है।
स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि ऐसी पारदर्शिता की कमी से न केवल योजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं, बल्कि जनता का विश्वास भी डगमगाता है। राजनगर के वार्ड नंबर 5 के जोड़ा तालाब अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
जोड़ा तालाब को लेकर बरती गई उदासीनता
नगर परिषद बनगवां के अंतर्गत वार्ड नंबर 5 पर जोड़ा तालाब है, जिसमें एक तालाब अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। काफी दिनों से वह तालाब गंदा हो चुका है एवं उसकी गहरीकरण कर देने से वह फिर अपने अस्तित्व में आ जाता है मगर नगर परिषद द्वारा उसके लिए कोई भी योजना न बनाकर, इस तालाब पर गहरीकरण का कार्य किया जा रहा है जो सोचने वाली बात है।
जल गंगा संवर्धन अभियान की अवधारणा जनसहभागिता से जल संरक्षण और संवर्धन पर आधारित है। इस अभियान के तहत न केवल नई जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया जाता है, बल्कि पहले से मौजूद तालाबों, कुओं और अन्य जल स्रोतों का जीर्णोद्धार भी किया जाता है। जल वितरण प्रणालियों और जल स्रोतों की साफ-सफाई, तथा उनके आसपास पौधरोपण के कार्य प्राथमिकता से किए जाते हैं ताकि पर्यावरण संतुलन बना रहे।