नई दिल्ली. गुरुवार सुबह राजधानी दिल्ली और एनसीआर (नेशनल कैपिटल रीजन) भूकंप के झटकों से हिल उठा. सुबह करीब 9 बजकर 4 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई. कई स्थानों पर लोग अपने घरों, कार्यालयों और ऊंची इमारतों से घबराकर बाहर निकल आए. हालांकि, अभी तक जान-माल के किसी नुकसान की खबर नहीं है.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, झटके कुछ सेकंड तक महसूस किए गए. दिल्ली के विभिन्न इलाकों के साथ-साथ नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी कंपन महसूस हुआ. ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग विशेष रूप से डरे और तुरंत खुले स्थानों की ओर भागे.
इससे पहले, 17 फरवरी को भी दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके आए थे. तब सुबह 5:36 बजे लोगों की नींद भूकंप से टूटी थी और कई लोग रात के समय घरों से बाहर निकल आए थे. उस वक्त भूकंप का केंद्र नई दिल्ली ही था और इसकी गहराई 5 किलोमीटर मापी गई थी.
क्यों आता है भूकंप?
भूकंप विशेषज्ञों के अनुसार, धरती की सतह मुख्यतः सात बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी है, जो लगातार गतिशील रहती हैं. ये प्लेट्स जब आपस में टकराती हैं या एक-दूसरे के नीचे-ऊपर खिसकती हैं, तो उनके किनारों पर अत्यधिक दबाव बनता है. जब यह दबाव एक सीमा से अधिक हो जाता है, तो वह टूटकर ऊर्जा के रूप में बाहर आता है. यही ऊर्जा धरती की सतह को हिला देती है, जिसे हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं.
भूकंप के बाद से नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) भूकंप की तीव्रता और केंद्र बिंदु की जानकारी जुटाने में लगा है. नागरिकों से अपील की गई है कि वे सतर्क रहें, लेकिन अफवाहों पर विश्वास न करें.
सावधानी बरतना जरूरी:
विशेषज्ञों ने नागरिकों को भूकंप के दौरान खुले स्थानों में जाने, बिजली के उपकरणों से दूर रहने, और ऊंची इमारतों में लिफ्ट का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है. साथ ही, भूकंप के बाद अफ़वाह फैलाने से बचने की अपील भी की गई है.