नई दिल्ली. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए ‘वोट चोरी’ के गंभीर आरोपों पर आयोग ने सख्त रुख अपनाया है. सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से इस मामले में हलफनामा (डिक्लरेशन) देने की मांग की है.
दो विकल्प दिए चुनाव आयोग ने
चुनाव आयोग का कहना है कि यदि राहुल गांधी को अपने विश्लेषण और लगाए गए आरोपों पर पूरा भरोसा है, तो उन्हें बिना हिचकिचाहट घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करने चाहिए. आयोग ने साफ किया कि अगर वह ऐसा नहीं करते, तो इसका मतलब होगा कि उन्हें अपने आरोपों पर खुद भी भरोसा नहीं है. ऐसी स्थिति में उन्हें देश से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी.
राहुल गांधी के आरोप
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलकर चुनावों में हेराफेरी करने और लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की नींव ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के सिद्धांत पर टिकी है, लेकिन अब इस पर सवाल उठ रहे हैं.
राहुल गांधी ने पांच मुख्य बिंदुओं के आधार पर अपने आरोप रखे—
1. भाजपा को कभी भी एंटी-इनकंबेंसी का सामना नहीं करना पड़ता.
2. भाजपा को अप्रत्याशित और बड़ी जीत मिलती है.
3. ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल अक्सर गलत साबित होते हैं.
4. मीडिया द्वारा एक खास माहौल तैयार किया जाता है.
5. चुनाव कार्यक्रम को सोच-समझकर ‘कोरियोग्राफ’ किया जाता है.
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राजनीतिक हलचल तेज
चुनाव आयोग की इस कड़ी प्रतिक्रिया के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है. अब सभी की नजरें इस पर हैं कि राहुल गांधी अपने आरोपों के समर्थन में दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करेंगे या फिर देश से माफी मांगेंगे.