पटना. बिहार में चुनाव आयोग द्वारा जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान के तहत नवीन मतदाता सूची के लिए दस्तावेज़ जमा करने की प्रक्रिया में निवास प्रमाण पत्र की सबसे अधिक माँग देखी जा रही है.
28 जून से शुरू हुए इस अभियान में अब तक 13 लाख से अधिक निवास प्रमाण पत्रों के आवेदन दाखिल हो चुके हैं, लेकिन इनमें से 9 लाख से ज़्यादा आवेदन अभी भी लंबित हैं.
विशेष बात यह है कि निवास प्रमाण पत्र के लिए सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जा रहा दस्तावेज़ आधार कार्ड है—जबकि विडंबना यह है कि आधार चुनाव आयोग की 11 मान्य दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं है जिन्हें जन्मतिथि या निवास प्रमाणित करने के लिए माना गया है.
एक सप्ताह में ही 13 लाख आवेदन, हर दिन आ रहे हैं 70,000 नए आवेदन
राज्यभर के लोक सेवा अधिकार केंद्रों (RTPS) पर प्रतिदिन लगभग 70,000 आवेदन आ रहे हैं.
एक आरटीपीएस अधिकारी ने बताया, “हमारे पास कर्मचारियों की संख्या सीमित है और मौजूदा आवेदन संख्या पहले से ही भारी है. अगर यही गति रही तो शेष बचे दिनों में यह संख्या दोगुनी हो सकती है.”
आधार ही बन रहा एकमात्र ‘साबित’ दस्तावेज़
हालांकि आवेदन के लिए नियम अनुसार आधार के साथ राशन कार्ड, वोटर ID, मैट्रिक सर्टिफिकेट और शपथपत्र की आवश्यकता होती है, लेकिन अधिकतर केंद्रों पर सिर्फ आधार कार्ड ही माँगा जा रहा है. कई ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास एकमात्र सरकारी पहचान पत्र आधार ही है, और उसी के आधार पर वे निवास प्रमाण पत्र बनवाना चाहते हैं.
ज़मीन से जुड़ी प्रतिक्रियाएं
मधुबनी के सौराठ निवासी किशन चौधरी कहते हैं, “मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे निवास प्रमाण पत्र मिल गया. लेकिन मेरे गाँव के 3,000 से ज़्यादा लोग अभी भी इंतज़ार कर रहे हैं.”
पूर्णिया के कस्बा निवासी अफसर अली सवाल करते हैं, “हम आधार से पासपोर्ट बनवा सकते हैं, लेकिन चुनाव आयोग के लिए आधार पर्याप्त नहीं है. क्या आज़ादी के 78 साल बाद भी हम स्थायी पहचान के लिए जूझ रहे हैं?”
पटना के आरटीपीएस केंद्र के एक अधिकारी ने बताया, “अब आवेदन प्रक्रिया धीमी हो गई है क्योंकि इंटरनेट सेवाएं कमजोर हैं और कर्मचारियों पर दबाव बढ़ रहा है.”
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अंतिम तिथि तक आवेदन कर पाना हो सकता है मुश्किल
एक वरिष्ठ अधिकारी ने चेतावनी दी कि 25 जुलाई की डेडलाइन को देखते हुए अब जो लोग आवेदन करेंगे, उनके लिए समय पर प्रमाण पत्र मिलना मुश्किल हो सकता है.
“यह सिस्टम का ओवरलोड है. जो लोग अंतिम समय में आएंगे, उन्हें आवेदन जमा करने में भी दिक्कत हो सकती है.”