जबलपुर. इन दिनों जबलपुर रेलवे स्टेशन पर वाणिज्य विभाग विशेषकर टिकिट चैकिंग में गुटबाजी चरम सीमा पर है। एक गुट का नेतृत्व संघ के पदाधिकारी एवं वोकेशनल कोर्स से भर्ती हुए सीटीआई कर रहे है तो दूसरी और का नेतृत्व एक पुराने सीटीआई कर रहे है । दोनों गुटों में वर्चस्व की लडाई इन दिनों चरम सीमा में है।
सूत्रों की माने तो वोकेशनल ग्रुप इन दिनो सब पर हावी है,क्योंकि जबलपुर मंडल कार्यालय मे 2 अधिकारी, पीसीसीएम कार्यालय मे 1 अधिकारी तथा सर्तकता विभाग का भी एक अधिकारी वोकेशनल ग्रुप का है तथा इनका वरदहस्त इस गुट को प्राप्त है।
इस बात का प्रमाण इससे मिलता है कि जबलपुर स्टेशन पर निम्म वरीयता वाले सीटीआई को सीटीआई मुख्यालय के रुप में वोकेशनल समूह के होने के नाते पदस्थ कर रखा है जवकि उच्च वरीयता वाले कर्मचारी लाईन/स्काड में दिनरात ड्यूटी कर रहे है ।
डयूटी के खेल में कुछ ऐसे भी कर्मचारी है जो सीधे साधे है एवं किसी भी गुट में शामिल नही है उनको तो कोल्हू के बैल की तरह कही भी हाँका जाता है, ऐसे कर्मचारी न तो शिकायत कर सकते है ना ही अपनी आवाज उठा सकते हैं ।
अगर किसी ने आवाज उठाने की कोशिश की तो उन्हे मंडल के वाणिज्य अधिकारियों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ता है। इसी तरह दोनों प्रभावशाली गुट के कर्मचारियों पर रेल नियमों का कोर्ड प्रभाव नही पड़ता एवं मनमर्जी से कार्य करते है । इस तरह के कार्य कलापो पर मंडल के अधिकारियों की नजरांदाजी एवं ऑख फेरना संदेह को जन्म देता है ।
प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक को प्रशासन का लम्बा अनुभव है तथा अपनी कार्यकुशलता एवं ईमानदारी के लिये जाने जाते है ऐसी उम्मीद है कि वह इस पर संज्ञान लेकर उचित कदम उठाकर गिरती रेल छवि को सुधारने का प्रयास करंगें एवं पारदर्शिता से ड्यूटी लगवाने के दिशार्निदेश जारी करेंगे।
पैसा दो ड्यूटी लगवाओ
पश्चिम मध्य रेल के कोटा एवं भोपाल मंडल मे टिकिट जाँच कर्मचारियों की डयूटी टीटी लिंक के हिसाब से लगती है परन्तु जबलपुर मंडल मॅ ड्यूटी मनमर्जी से लगती है। वोकेशनल के कर्मचारियां को बढिया मलाईदार गाडियों में डयूटी पर भेजा जाता है। अन्य कर्मचारियों को पूजा प्रसाद चढाने के बाद उनकी पसंद या सुविधाजनक गाडियां में भेजा जाता है।
कुछ वलशाली एवं प्रभावशाली कर्मचारी अपनी मर्जी से चाहें जिस गाड़ी मै ड्यूटी करना चाहे कर सकते है, क्योंकि अगर लिंक में उन्हें ड्यूटी करना पड़े तो सभी को सभी गाड़ियों में कार्य करना पड़ेगा । परंतू इन गुट से इतर जितने भी टिकिट जांच कर्मचारी अपनी मनपसंद गाडियों में कार्य करना चाहते है तो उन्हें पूजा प्रसाद चढ़ाना पड़ता है ।
सूत्रों की माने तो टिकिट जाँच कर्मचारियों के सोशल मिडिया ग्रुप में भी आये दिन रुपयें के बदले मनचाही डयूटी के संदेश चलते रहते है। जिसकी जानकारी मंडल वाणिज्य विभाग के सभी अधिकारियों को भलीभांती है लेकिन उनकी ओर से सुधारात्मक कदम शून्य है।
विजलेंस की चुप्पी भी संदेह के घेरे में
पश्चिम मध्य रेलवे का सर्तकता विभाग स्टेशन से चन्द कदमों की दूरी पर है लेकिन सर्तकता निरीक्षकों की फौज को ऐसी अनिमिताएं कभी दिखाई नही देती । सर्तकता निरीक्षक केवल खाना पूर्ती के लिये यहाँ वहाँ जॉच कर अपने कार्य की इतिश्री कर लेते है और छोटे मोटे कर्मचारियों पर केस बनाकर विभाग में वाहवाही लूट लेते है ।
जबकि बडी मछली पर हाथ डालने अथवा कार्यवाही करने से घबड़ाते है। अगर सर्तकता विभाग केवल 3 माह की ड्यूटी लिस्ट उठाकर देख लें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा । लेकिन इसकी जेहमत उठाने को कोई तैयार नही है।