जबलपुर. माउंट एवरेस्ट सहित विश्व की चार पर्वत चोटी को पहले फतह करने के बावजूद भी विक्रम अवार्ड नहीं दिये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका पर पहले युगलपीठ तथा बाद में एकलपीठ द्वारा सुनवाई की गयी। जस्टिस अमित सेठ की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद सरकार को दो सप्ताह में जवाब पेश करने निर्देश जारी किये है।
याचिकाकर्ता मेघा परमार की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह प्रदेष की पहली महिला है,जिसने सबसे पहले माउंट एवरेस्ट की चोटी को फतह किया था।
उसके दल में भावना डेहरिया ने भी और उसने बाद में माउंट एवरेस्ट की चोटी को फतह किया था। इसके अलावा माउंट कोस्कियस,माउंट किलिमीन तथा माउंट एल्ब्रस की चोटी भी उसने पहले फतह की थी। इसके बाद भावना चोटी पर पहुंची थी।
याचिका के साथ दोनों का टाइमिंग डाटा भी पेश किया गया था। योग्यता के अनुसार भावना के साथ उसे भी विक्रम अवार्ड प्रदान किया जाना चाहिए था।
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने हाईकोर्ट जस्टिस ए के सिंह तथा जस्टिस अमित सेठ को बताया कि साल 2019 में विक्रम अवार्ड रूल्स में संशोधन करते हुए एडवेंचर गेम को भी शामिल किया गया था।
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नियम के अनुसार एडवेंचर गेम में लिए एक खिलाड़ी को विक्रम अवार्ड दिया जाये। साल 2016 में एवरेस्ट फतह करने वाले प्रदेष के दो पुरुष को साल 2022 में विक्रम अवार्ड प्रदान किया गया था। सरकार पूर्व मंे एडवेंचर गेम में सिर्फ एक खिलाड़ी को विक्रम अवार्ड देने का नियम शिथिल कर चुकी है।
दोनों खिलाफ योग्य है तो दोनों को विक्रम अवार्ड प्रदान किया जाना चाहिये। युगलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते एकलपीठ ने निर्देश जारी किये थे। जस्टिस अमित सेठ की एकलपीठ के समक्ष सरकार की तरफ से बताया गया कि विक्रम अवार्ड प्रदान करने के लिये खिलाड़ियों के नाम की घोषणा कर चुकी है।
इसके अलावा याचिका में भावना को अनावेदक नहीं बनाने जाने का मुद्दा भी उठाया गया। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि वह भावना को विक्रम अवार्ड दिये जाने के खिलाफ नहीं है,इसलिए उसे अनावेदक नहीं बनाया गया था।
कानूनी प्रक्रिया के तहत आवश्यक होने पर वह याचिका में संशोधन करना चाहते है। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेष जारी किये। एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी है कि वह इस संबंध में सरकार के समक्ष अभ्यावेदन पेश कर सकती है।