गांधीग्राम, देशबन्धु. इसी प्रकार तालाब किनारे बर्मन मोहल्ला, गड़ारी के कुआं के पास, आदिवासी वार्ड में होली में भगवान के भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर जलती अग्नि में बैठी होलिका जो कि प्रहलाद को जलाना चाहती थी खुद होली की आग में भस्म हो गई और सत्य की राह पर चलते हुऐ भक्त प्रहलाद बच गया. लोगों ने कंडे की राख को माथे पर लगाया.
कंडों की होली जलाने को सार्थक व महत्वपूर्ण बताते हुए पौराणिक राघवेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि गोबर का उपयोग प्रत्येक पूजन व शुभकार्य के लिए होता है, क्योंकि गाय, बैल, भैस आदि द्वारा जो हरित भोजन रूप में लिया जाता है. उससे ही तैयार गोबर विशुद्घ होता है. गोबर के कंडे की आग का धार्मिक कार्य, अनुष्ठान, यज्ञ, पूजन आदि के लिए शुभ माना जाता है.
इसीलिए हवन आदि के लिए कंडे की आग का ही उपयोग करते हैं. पौराणिक त्रिपाठी ने बताया की कंडे की आग महत्वपूर्ण है. पर्यावरण की दृष्टि से सर्वथा उचित है.
गांधीग्राम समेत आसपास के गांवों में होलिका दहन कंडे से किया गया. हमारी वनस्पति पेड़ पौधे सुरक्षित रहेंगे व पर्यावरण सुंदर बनेगा.होलिका दहन कार्यक्रम में मुख्य रूप से , पौराणिक राघवेंद्र त्रिपाठी, देवशंकर तिवारी, योगेन्द्र मिश्रा,राकेश पटेल, गणेश असाटी, उमेश, शिवबालक पटेल ,लकी पटेल, अनूप चौरसिया, पलंदी चौरसिया, प्रमोद पटेल , पहलाद पटेल, राकेश, सीताराम, गोविंद पटेल, लक्ष्मी सोनी, सचिन असाटी, गणेश नामदेव,शुभम आशीष असाटी,लालू असाटी आदि उपस्थित रहे.