पटना. बिहार की राजधानी पटना में चर्चित व्यवसायी गोपाल खेमका हत्याकांड की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है. पुलिस की जांच में सामने आया है कि यह वारदात महज एक पल का नहीं, बल्कि सुनियोजित साजिश का नतीजा थी, जिसमें 3 से 4 पेशेवर अपराधियों की संलिप्तता बताई जा रही है.
सूत्रों के मुताबिक, पटना के बेऊर जेल में छापेमारी के दौरान एक मोबाइल फोन और सिम कार्ड बरामद किया गया है, जिसे इस हत्याकांड से जोड़कर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि जेल से ही अपराधियों के बीच संपर्क और निर्देशों का आदान-प्रदान किया गया.
कैसे रची गई साजिश?
पुलिस जांच में सामने आया है कि खेमका की हत्या में एक मुख्य शूटर के साथ एक ‘लाइनर’ की भूमिका थी. यह लाइनर घटना वाले दिन बांकीपुर क्लब के बाहर तैनात था और उसने गोपाल खेमका की गतिविधियों पर नजर रखी. जैसे ही खेमका क्लब से बाहर निकले, लाइनर ने शूटर को सूचना दी.
CCTV फुटेज से पता चला है कि शूटर ने हेलमेट पहन रखा था और वारदात को अंजाम देने में सिर्फ 6 सेकंड का समय लिया. उसने खेमका के सिर में गोली मारी और तुरंत स्कूटी से फरार हो गया.
पुलिस का दावा: जल्द होगा खुलासा
पटना पुलिस ने बताया कि इस हत्याकांड में शामिल अपराधियों की पहचान लगभग हो चुकी है और जल्द ही इस पूरे मामले का आधिकारिक खुलासा किया जाएगा. कई संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है और कॉल डिटेल्स की जांच भी जारी है.
इस बीच, बेऊर जेल से मोबाइल और सिम कार्ड की बरामदगी ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि कैद में रहकर भी अपराधी जेल से बाहर की गतिविधियों को कैसे संचालित कर रहे हैं?
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क्यों चर्चा में है मामला?
गोपाल खेमका पटना के एक प्रख्यात व्यवसायी और सामाजिक व्यक्ति थे. उनकी दिनदहाड़े हत्या से शहर में दहशत फैल गई थी. मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण पुलिस और प्रशासन पर दबाव भी काफी है.