उमरिया. जिले के पाली नगर के एक प्रतिष्ठित व्यापारी द्वारा संचालित आटा मील पर जबलपुर से आई जीएसटी विभाग की टीम डिप्टी कमिश्नर देवेन्द्र सिंह टेकाम जीएटी अधीकारी एवं उनके दो सहयोगी रत्नेश सिंह परिहार व अलताफ अंसारी राज्य कर अधिकारी द्वारा देर शाम छापामार कार्रवाई की।
सूत्रों के अनुसार, विभाग को लंबे समय से आटा मील में अनियमितताओं और कर चोरी की शिकायतें मिल रही थीं। लेकिन दबिश की भनक लगते ही व्यापारी मौके से फरार हो गया और मील का गेट ताला बंद कर दिया गया।
टीम ने व्यापारी के परिजनों को बुलवाकर गेट खुलवाया और फिर तीन घंटे तक अंदर कार्रवाई की। सवाल यह है कि जब व्यापारी खुद मौके पर मौजूद नहीं था, तो आखिर तीन घंटे तक अधिकारी बंद कमरे में कौन-सी कार्यवाही करते रहे? क्या मील को सील किया गया? क्या कोई दस्तावेज जब्त किए गए? इन सवालों का अब तक विभाग के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।
कार्रवाई पर गंभीर सवाल
मालिक की गैरमौजूदगी में जांच अधूरी क्यों रही? जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 67 के तहत यदि कर चोरी या दस्तावेजों की गड़बड़ी पाई जाती है तो विभाग तत्काल परिसर को सील करने और स्टॉक जब्त करने के लिए अधिकृत है। लेकिन मौके पर ऐसा कुछ नहीं किया गया।
आवश्यक दस्तावेज नहीं मिलने पर कार्रवाई का क्या आधार? यदि दस्तावेज नहीं मिले तो विभाग को लिखित पंचनामा बनाकर जब्ती/सील की कार्रवाई करनी चाहिए थी।
लेकिन केवल दिखावटी जांच कर लौट जाना कार्रवाई की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। तीन घंटे तक बंद गेट के अंदर क्या हुआ? स्थानीय लोगों ने भी सवाल उठाया है कि अगर जांच निष्पक्ष थी तो टीम ने खुली कार्यवाही क्यों नहीं की? पारदर्शिता के अभाव ने संदेह को और गहरा कर दिया है।
आटा मील संचालन की कानूनी अनिवार्यताएं
FSSAI लाइसेंस: खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम, 2006 के तहत हर आटा मील का पंजीकरण अनिवार्य है। जीएसटी पंजीकरण: 40 लाख (कुछ राज्यों में 20 लाख) से अधिक वार्षिक कारोबार वाले प्रतिष्ठानों के लिए जीएसटी पंजीकरण जरूरी है। वजन एवं माप नियम: पैकिंग और तौल मशीनों का सत्यापन कराना अनिवार्य है।
प्रदूषण नियंत्रण: पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत मील में धूल नियंत्रण के उपाय जरूरी हैं।
श्रम कानून पालन: मजदूरों की सुरक्षा और पंजीयन अनिवार्य है।
जनता और व्यापारी संघ की प्रतिक्रिया
स्थानीय व्यापारिक वर्ग और आमजन दोनों ही विभाग की इस कार्यवाही को लेकर संशय जता रहे हैं। व्यापारी संघ के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा – “यदि व्यापारी नियम तोड़ रहा था तो मील सील करना चाहिए था, और यदि सब कुछ सही था तो तीन घंटे तक की बंद कमरे की कार्रवाई क्यों? यह छापा केवल दिखावा प्रतीत हो रहा है।”
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फिलहाल जीएसटी विभाग इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है। लेकिन अधूरी कार्रवाई और व्यापारी की गैरमौजूदगी ने पूरे मामले को संदिग्ध बना दिया है और विभाग की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।