गांधीग्राम, देशबन्धु. साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक मनीष त्रिपाठी ने बताया कि माघ और आषाढ़ मास में पड़ने वाली 2 नवरात्रों को गुप्त नवरात्र कहते हैं. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. वैसे तो चारों नवरात्रि मां दुर्गा के भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन माघ और आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का भी बहुत महत्व है.
माघ मास की गुप्त नवरात्रि 6 फरवरी को नवमी थी. इन नवरात्रि में भी भक्त निराहार रहकर या फलाहार लेकर व्रत किया. पुजारी हरिप्रसाद द्वारा माघ मास में प्रात: व सायंकालीन बेला में माँ की आरती की गई, गुरुवार नवमी को बंजारी माता मंदिर गांधीग्राम में भक्तों ने पूजा अर्चना की.
माँ बंजारी- धार्मिक नवदिवस पर मातारानी की भक्ति पूजा अर्चना नौ दिन भक्तगण,ग्रामवासी डूबे रहे . नवमी को साँचे दरबार में क्रमश: बंजारी माता मन्दिर में मातारानी को सुंदर आभूषणों से सुसज्जित किया गया . भक्तो की आस्था व विशवास का केंद्र माँ बंजारी का उदगम स्थल करदही नदी है.नदी के पानी में पड़ी माँ बंजारी की स्थापना ग्राम के स्व. चन्दन सिंह गौर ने 1956 में करायी थी. मां बंजारी मां नवदुर्गा के नवविविध स्वरूपों में से एक है.
पौराणिक मान्यता अनुसार माँ बंजारी को राक्षसराज शुम्भ निशुम्भ ने युद्ध के लिए ललकारा था. क्रोधित होकर मां युद्ध के लिए दौड़ी तो राक्षस राज शुम्भ व निशुम्भ गिरी कन्दरा में प्रवेश कर गए. मातारानी व राक्षस राज शुम्भ निशुम्भ का भीषण युद्ध हुआ. मातारानी ने राक्षस राज का वध कर वापस लौटी मां के वापस विजयी मुद्रा का गिरी कन्दरा के अंदर स्वरूप मातारानी की मूर्ती में द्रष्टव्य है. क्षेत्र में शक्तिपीठ के रूप में स्थापित उक्त मन्दिर में नवरात्रि के नौ दिनों तक और नवमी के अवसर पर माँ के दर्शनार्थ व पूजन के लिए भक्त पहुंचे.