नई दिल्ली. फिटनेस की दुनिया में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. अब फिटनेस के लिए जिम या महंगे पर्सनल ट्रेनर की जरूरत नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पावर्ड वर्कआउट्स का चलन तेजी से बढ़ रहा है. यह ट्रेंड इस समय नंबर 1 पर है और इसकी वजह है कि AI फिटनेस को ज्यादा सुलभ, निजी और वैज्ञानिक बना रहा है. भारत में भी इसका असर साफ दिख रहा है, जहाँ लोग घरों में ही स्मार्टवॉच और AI ऐप्स की मदद से वर्कआउट कर रहे हैं.
AI फिटनेस कैसे काम करता है?
AI सिस्टम आपकी फिटनेस गोल, शरीर की क्षमता, और आपकी रिकवरी रेट जैसे डेटा का विश्लेषण करके आपके लिए एक व्यक्तिगत वर्कआउट रूटीन बनाता है. यह रूटीन आपकी जरूरत के अनुसार वजन घटाने, मसल्स बनाने, या सहनशक्ति बढ़ाने के लिए तैयार किया जाता है. AI आपकी मेटाबॉलिक रेट और थकान को ट्रैक करते हुए वर्कआउट की तीव्रता को भी रियल टाइम में एडजस्ट कर सकता है.
लाइव कोचिंग: AI आधारित ऐप्स आपके कैमरे से आपकी एक्सरसाइज फॉर्म को ट्रैक करते हैं और तुरंत फीडबैक देते हैं. यह एक वर्चुअल कोच की तरह काम करता है, जो आपको सही मुद्रा बनाए रखने में मदद करता है.
चोट से बचाव: AI आपके नींद के पैटर्न, स्ट्रेस लेवल और बायोमेट्रिक्स डेटा को मिलाकर आपको यह बता सकता है कि किन गतिविधियों से चोट लगने का खतरा है और आपको कब आराम करना चाहिए.
भारत में AI फिटनेस की बढ़ती लोकप्रियता
भारत में भी कई AI-फिटनेस ऐप्स जैसे “My AI Trainer” और “FitAdvisor” लोकप्रिय हो रहे हैं. इन ऐप्स में वॉइस कमांड, डायनामिक वर्कआउट और फॉर्म करेक्शन जैसे फीचर्स यूजर्स को काफी पसंद आ रहे हैं. एप्पल वॉच में Workout Buddy जैसे फीचर्स भी आ गए हैं, जो AI-सक्षम कोच की तरह काम करते हैं.
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AI फिटनेस के फायदे
24×7 उपलब्धता: आप किसी भी समय और कहीं भी AI कोच की मदद से वर्कआउट कर सकते हैं.
कम लागत: यह महंगे पर्सनल ट्रेनर की तुलना में एक किफायती विकल्प है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: यह डेटा के आधार पर वर्कआउट प्लान बनाता है, जिससे परिणाम अधिक सटीक होते हैं.
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि AI फिटनेस एक बेहतरीन टूल है, लेकिन इसका उपयोग करते समय इसकी सीमाओं को समझना भी जरूरी है. AI मानव स्पर्श और भावनात्मक जुड़ाव की कमी को पूरा नहीं कर सकता.