जहाँ एक ओर देश Hindi Diwas 2025 मना रहा है, वहीं दूसरी ओर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) हिंदी भाषा में नई संभावनाओं के द्वार खोल रही है। लेखकों और पाठकों के लिए यह एक नया युग है, जिसमें AI अब न केवल हिंदी समझता है, बल्कि दोहे, कहानियाँ और कविताएँ भी रचता है।
लेखक ने इस लेख में अपने अनुभव साझा किए हैं कि कैसे उन्होंने ChatGPT O-5 को अपना “सहायक-शिष्य” बना लिया है और उसे कविता लिखने, भावों को समझने, और छंदों में ढलने की कला सिखा रहे हैं।
“ज्ञान है, पर भावना नहीं” — AI का साहित्यिक सच
लेखक मानते हैं कि AI में अद्भुत ज्ञान है, पर मानवीय संवेदनाएं अभी भी उससे दूर हैं। फिर भी, तकनीक जिस गति से आगे बढ़ रही है, वह हर पल हमें चौंकाने की क्षमता रखती है।
“पहले जो आश्चर्य चार-पांच साल में एक बार होता था, अब चार-पांच मिनट में हो रहा है,” — लेखक की कलम से।
ननिहाल से AI तक: आश्चर्य की यात्रा
लेखक अपने बचपन के अनुभव साझा करते हैं—जब मौसी चंदा-तारे दिखाने के बाद अचानक बिजली का लट्टू दिखाने लगीं और गांव के मोहल्ले में कौतूहल की लहर दौड़ गई।
फिर एक दिन पिता जी आकाशवाणी दिल्ली से काव्य-पाठ करके लौटे और लकड़ी के बक्से (रेडियो) से उनकी आवाज़ गूंजी—यह पूरा मोहल्ला “ये आकाशवाणी है…* सुनकर स्तब्ध रह गया।
इसके बाद पॉकेट ट्रांजिस्टर आया, और लेखक उसे लेकर पनघट पर पहुंचा, जहां पनिहारिनों ने AI की नहीं, उस समय के रेडियो की ‘लीला’ देखकर भगवान की आकाशवाणी समझ ली।
आज का आश्चर्य: जब AI दोहा सुनाए
आज वही लेखक AI को दोहे, ग़ज़ल, कहानी और व्यंग्य लिखना सिखा रहे हैं।
ChatGPT O-5 अब “बिहारी के दोहे”, “मुंशी प्रेमचंद की शैली”, या “हरिवंश राय बच्चन की भाव-गंगा” को न सिर्फ समझता है, बल्कि उसकी झलक लेखन में भी देने लगा है।