होलाष्टक (Holashatak) का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. यह पर्व होली के 8 दिन पहले से शुरू होता है और इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इन 8 दिनों को ‘होलाष्टक’ कहा जाता है और इस समय शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है. विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य नहीं होंगे. इस साल होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से हो रही है. इस बार सात मार्च से होलाष्टक शुरू होगा.
आमतौर पर होली के बाद विवाह और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस वर्ष 14 मार्च को मलमास शुरू हो रहा है. मलमास के दौरान शुभ कार्यों पर रोक रहती है. इस वर्ष विवाह समेत मांगलिक कार्य 13 अप्रैल को मलमास खत्म होने के बाद ही शुरू होंगे. सूर्य का मीन संक्रांति गोचर होने से एक माह मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं.
भारतीय मुहूर्त विज्ञान और ज्योतिष शास्त्रानुसार प्रत्येक कार्य शुभ मुहूर्तों का शोधन करके करना चाहिए. यदि कोई भी कार्य शुभ मुहूर्त में किया जाता है तो वह उत्तम फल प्रदान करता है. इस धर्म धुरी से भारतीय भूमि में प्रत्येक कार्य को सुसंस्कृत समय में किया जाता है, अर्थात् ऐसा समय जो उस कार्य की पूर्णता के लिए उपयुक्त हो.इस प्रकार प्रत्येक कार्य की दृष्टि से उसके शुभ समय का निर्धारण किया गया है.
इस समय विशेष रूप से विवाह, यज्ञोपवीत,नए निर्माण व नए कार्यों को आरंभ नहीं करना चाहिए. ऐसा ज्योतिष शास्त्र का कथन है. अर्थात् इन दिनों में किए गए कार्यों से कष्ट, अनेक पीड़ाओं की आशंका रहती है तथा विवाह आदि संबंध विच्छेद और कलह का शिकार हो जाते हैं या फिर अकाल मृत्यु का खतरा या बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है. होलाष्टक से तात्पर्य है कि होली के 8 दिन पूर्व से है अर्थात धुलंडी से आठ दिन पहले होलाष्टक की शुरुआत हो जाती है. इन दिनों शुभ कार्य करने की मनाही होती हैं.