संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), अल-कायदा और आईएसआईएस जैसे समूह अफगान क्षेत्र का दुरुपयोग न कर सकें.
भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित संगठनों और उनके समर्थकों को अफगानिस्तान की जमीन से किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि चलाने से रोकना होगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल दंडात्मक उपाय पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि संघर्षोत्तर स्थिति में सकारात्मक और व्यावहारिक नीति अपनाने की जरूरत है.
हरीश ने कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि द रेसिस्टेंस फ्रंट, जो लश्कर से जुड़ा संगठन है, ने धार्मिक आधार पर 26 नागरिकों की हत्या की थी. भारत ने इसकी कड़ी निंदा की है.
इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि रोजा ओटुनबायेवा ने भी चेतावनी दी कि भले ही अफगानिस्तान में बड़े स्तर पर संघर्ष और हिंसा में कमी आई हो, लेकिन चरमपंथी संगठनों की मौजूदगी वहां अब भी गंभीर खतरा बनी हुई है.
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उन्होंने बताया कि तालिबान के भीतर दो धाराएं काम कर रही हैं –
1. एक समूह अफगान जनता की ज़रूरतों पर ध्यान देना चाहता है.
2. दूसरा समूह कठोर इस्लामी व्यवस्था लागू करने पर केंद्रित है, जिसने विशेषकर महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा व काम करने की स्वतंत्रता पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं.
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से बातचीत की थी. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के चलते मुत्तकी की नई दिल्ली यात्रा रद्द हो गई. इसके बावजूद भारत ने मानवीय सहायता और विकास कार्यों में सहयोग जारी रखने का भरोसा दिलाया है.
भारत का कहना है कि अफगानिस्तान की स्थिरता और वहां की जनता का कल्याण अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा से सीधे जुड़ा है. इसलिए वैश्विक समुदाय को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने चाहिए.