जबलपुर, देशबन्धु. कृषि उपज मंडी में अब आर्थिक रूप से कमजोर कारोबारियों के दिन लद गये हैं. ऐसा इसलिये है क्योकि नई मंडी में दुकानों की कीमत लाखों पर पहुंचने वाली हैं. इस बीच मंडी प्रशासन ने नई मंडी को बनाने की कवायद तेज कर दी है. जिसमें दो अलग-अलग चरणों में दुकाने बनाई जाएंगी. पहले चरण में 72 दुकानें बन रही हैं. जिसके लिये डिजाईन और दूसरी जरूरी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इससे जुड़े अधिकारियों को जवाबदारी दी जा रही है.
गौरतलब है कि नई कृषि उपज मंडी को धीरे-धीरे शहर से बाहर करने की कवायद की जा रही है. जिसमें सब्जी मंडी को पहले बनाया जायेगा. साथ ही आलू-प्याज मंडी के लिये भी दुकाने बनाई जाएंगी. एक ही जगह हरी सब्जी के साथ ही इससे जुड़ी सामग्रियों के लिये दुकानों को तैयार किया जा रहा है ताकि थोक का कारोबार करने वालों को एक ही जगह पर खरीद-बिक्री की सुविधा आसानी से मिल सके.
10 से 11 माह की समय सीमा- सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नई मंडी क ो अंतिम रूप देने के लिये अधिकारियों को लगभग एक साल के समय का लक्ष्य दिया गया है. इसी को ध्यान में रखते हुये मंडी प्रशासन से जुड़े कर्मियों ने मौके पर व्यवस्थाओं को जुटाने की तैयारी कर दी है.
हर हालत में तय समय सीमा के अंदर दुकानों को अंतिम रूप देने के लिये कहा गया है. जिसका दवाब अधिकारियों पर देखने को मिल रहा है. लाखों में दुकानों की कीमत पहुंचेगी- बताया गया है कि नई मंडी में अब आर्थिक रूप से कमजोर सब्जी-आलू प्याज से जुड़े व्यापारियों के लिये कारोबार करना आसान नही है.
ऐसा इसलिये है क्योंकि अब यहां पर दुकानों की कीमत 16 लाख 40 हजार से शुरू होगी. आवंटन के लिये निविदा प्रक्रिया का सहारा लिया जायेगा. जिसमें जो जितनी ज्यादा बोली लगायेगा, उसे दुकान मिल जायेगी. इसके चलते छोटे दुकानदारों के लिये खुद की दुकान मुंगेरीलाल के सपने के जैसी हो गई है.
मटर व्यापारी संघ के अध्यक्ष अजित साहू ने कहा है कि सब्जी कारोबार में अस्सी प्रतिशत छोटे व्यापारी हैं. इनके लिये महंगी कीमत पर दुकान खरीदना अत्यंत कठिन है. इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो वास्तव में सब्जी व्यापार से जुड़े लोग नई मंडी से बहुत दूर हो जाएंगे और लोगों के सामने घर चलाना मुश्किल हो जायेगा.
विरोध की भी आवाज उठने लगी
इधर मंडी बनने से पहले ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं. इसी के चलते न्यू फल व्यापारी संघ के अध्यक्ष अशरफ भाई ने कहा है कि स्व वित्तीय योजना के अंतर्गत नई मंडी को तैयार किया जा रहा है. इसके लिये फल व्यापारी तैयार नही हैं. इसके अंतर्गत नई मंडी में जाना संभव नहीं होगा.
दुकान के बदले दुकान मिलनी चाहिये. आज की स्थिति में फल व्यापारी नई दुकान नहीं ले पाएंगे. फल कारोबार की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब हो रही है. व्यापार करना मुश्किल हो गया है. लगातार मार्जिन घट रहा है. किसी तरह फल व्यापारी अपना व्यापार कर पा रहे हैं. इसके लिये प्रशासन को सहानूभूति पूर्वक पुर्नविचार करना चाहिये ताकि इस कारोबार से जुड़े सैकड़ों लोगों की रोजी रोटी को बचाया जा सके.