जबलपुर, देशबन्धु. लोक निर्माण विभाग के मैदानी अमले की लापरवाही से जबलपुर में कई वार्ड में जल संकट गहराया गया है. शुरूआती जानकारी में पता चला है कि मेडीकल के पास शास्त्री नगर बाजनामठ में सड़क चौड़ीकरण काम चल रहा था, उसी दौरान पाइप लाइन को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. जहां पहले से पुरानी पाइप लाइन खराब थी.
वहीं इसके सामानांतर लाइन पर जेसीबी का हथौड़ा चल गया और लाइन का वाल्ब क्षतिग्रस्त हो गया. जिसके कारण शहर में करीब चालीस वार्डो के रिहायशी इलाकों में पानी की आपूर्ति ठप्प हो गई. हालाकि ननिज के जवाबदार अमले को भी मौके पर मौजूद रहना था, जब सड़क चौडीकरण कार्य पाइप लाइन के समीप किया जा रहा था.
इस तरह की लापरवाही एक नहीं बल्कि पूर्व में कई बार सामने आ चुकी है. लेकिन अब तक संबंधित ठेका कंपनी या ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई नहीं होने से बार-बार इसी तरह की लापरवाही दुहराई जा रही है जिसका शहर की बड़ी आबादी जल संकट झेलने को मजबूर है.
सोमवार को महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू और नगर निगम की आयुक्त प्रीति यादव मौके पर पहुंची और क्षतिग्रस्त पाइप लाइन सुधार कार्य का जायजा लेकर इसमें तेजी लाने के निर्देश दिये गये हैं. महापौर श्री अन्नू ने कहा कि उन्होंने निर्देशित किया है कि टैंकरों से ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति की जाये ताकि लोगों को असुविधा का सामना न करना पड़े.
है कि रमनगरा से नर्मदा का पानी जबलपुर के कई वार्डो में सप्लाई किया जाता है. बीते दिवस उस दौरान एकाएक कई वार्डो में पानी की सप्लाई करने वाली पाइप लाइन का बैंड क्षतिग्रस्त हो गया जब सड़क चौडीकरण के समय पुलिया का काम चल रहा था. इससे जल आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो गई.
विभागों की हुई थी बैठक- पता चला है कि उक्त सड़क चौडीकरण काम के पहले लोकनिर्माण विभाग और ननिज के जल विभाग के अधिकारियों के बीच बैठक हुई, जिसमें बताया गया था कि सावधानी बरती जाये ताकि पाइप लाइन को क्षति न पहुंचने पाये. इसके बाद अधिकारियों ने ठेका कंपनी को इससे अवगत करा दिया था. लेकिन इसके विपरीत मौके पर लापरवाही बरती और पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो गई.
तत्कालीन नगर सरकार पर उठे सवाल- इधर तत्कालीन नगर सरकार जिसके मुखिया प्रभात साहू थे, उक्त लाइन डाली गई थी. इसकी गुणवत्ता बेहद घटिया थी, जिसे लेकर कई अवसरों पर पूर्व में सदन में हंगामा भी हुआ था. सूत्रों के अनुसार उक्त लाइन पीबीसी की लाइन डाली गई थी. उसकी जगह मजबूत लाइन बिछाई जानी थी. इसके कारण इस बार दो माह में तीसरी बार लाइन क्षतिग्रस्त हुई है. पहले ही इसी तरह भरी गर्मी में मुख्य पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होती रही है.
16 करोड़ की लागत से बिछाई लाइन काम नहीं आई- उल्लेखनीय है कि तत्कालीन महापौर स्वाति गोडबोले के कार्यकाल में यहां पर सोलह करोड़ की लागत से सामान्तर पाइप लाइन डाली गई थी, इसी उद्देश्य को लेकर मेन लाइन क्षतिग्रस्त होने पर इस लाइन से शहर की जनता को पानी दिया जा सके, भले ही वह कम मात्रा में हो, यह लाइन चालीस गेज की है. उस दौरान पूरे सदन की आम सहमति से यह काम किया गया था. यह लाइन भी जनता के काम नहीं आ रही है.
पानी कें टैंकर मांगे 6 मिले 2 परशुराम वार्ड के करमेता आदि रिहायशी इलाकों में भी पानी की हायतौबा मची है. पार्षद सतेंद्र चौबे के अनुसार कम से छ टैंकर की जरूरत थी, लेकिन अब तक केवल दो टैंकर पानी मिला है, जो नाकाफी है.
लोगों की मांग को देखते हुये उन्होंने पैसे देकर पानी के चार टैंकर जनता के लिये करीब चार बुलाये हैं. इसी तरह की स्थिति शहर के अन्य प्रभावित रिहायशी इलाकों में हैं. यहां पर भी पार्षदों के बीच टैंकरों के लिये जमकर बवाल मच रहा है.
प्रभावशील लोगों को मिल रहा है टैंकर का पानी
इधर जल प्रभारी दामोदार सोनी ने दावा किया है कि अभी प्रभावित क्षेत्रों में चालीस टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है, वहीं लोगों का कहना है कि पानी उन्हीं को मिल पा रहा है जिनका राजनीतिक वजूद या प्रभावशाली लोग हैं, बाकी आम जनता पानी के लिये भटक रही है. अभी पानी के लिये विवाद भी हो रहे हैं. कई जगह तो मारपीट की स्थिति बन रही है.