जबलपुर. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति द्वय अतुल श्रीधरन एवं न्यायमूर्ति प्रदीप मित्तल की खंडपीठ ने राजीव मालवीय नामक याचिका करता, जो की लोको पायलट के पद पर भोपाल में पदस्थ है, के द्वारा केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण द्वारा उसकी याचिका को निरस्त करने को चुनौती देते हुए याचिका दायर की याचिका करता का तर्क था कि रेलवे ने 28 11 24 को लोको रनिंग सुपरवाइजर के चयन हेतु एक अधिसूचना जारी की थी।
उसके पश्चात 15 जनवरी 2025 को भोपाल मंडल ने पत्र एवं पात्र कर्मचारियों की सूची जारी की। इसके पश्चात 5 मार्च 2025 को रेल मंत्रालय एवं रेलवे बोर्ड के द्वारा एक पत्र जारी किया गया जिसमें विषय वस्तु यह थी कि चयन प्रक्रिया में अनियमितताएं हुई।
उक्त आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेखित था कि उक्त चयन प्रक्रिया में विभागीय चयन में अनियमितता हुई है इसलिए सभी सिलेक्शन अर्थात एलडीसी इ/एस जीडीसीएस ग्रुप सी जिनकी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई एवं जो 4 मार्च 2025 तक प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई उन्हें निरस्त किया जाता है।
इसके पश्चात पश्चिम मध्य रेलवे ने 24 मार्च 2025 को उक्त पत्र की व्याख्या करते हुए सभी मंडल प्रबंधकों अर्थात जबलपुर भोपाल और कोटा को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि उक्त पत्र में सीनियारिटी कम suitability एवं ट्रेड टेस्ट बेसिस का कोई हवाला नहीं है तो उक्त प्रक्रिया को जारी रखा जा सकता है।
याचिकाकरता का तर्क था की स्थानीय स्तर पर महाप्रबंधक पश्चिम मध्य रेल ने जारी किया वह विधि अनुसार नहीं है क्योंकि 5 मार्च 2025 का आदेश रेल मंत्रालय से निकला था एवं यदि कोई स्पष्टीकरण की आवश्यकता थी तो उसका स्पष्ट करण रेल मंत्रालय से/रेलवे बोर्ड से मांगा जाना चाहिए था।
इसके पश्चात 28 मार्च 2025 को रेल मंत्रालय रेलवे बोर्ड ने एक पत्र जारी किया जिसमें की विषय वस्तु में अनियमित बताएं एवं रेफरेंस में 5 3 2025 के पत्र का उल्लेख किया गया है जिसमें यह कहा की रेलवे एवं स्टाफ से ने यहां निवेदन किया की प्रक्रिया को निरस्त करने में दिक्कतें आएंगी] इसलिए निरस्तीकरण के आदेश को आंशिक रूप से निरस्त करने का निर्णय लिया जाता है।
इसके पश्चात उक्त पत्र में कुछ चयन प्रक्रिया जिन में की 4 3.2025 तक लिखित परीक्षा आयोजित की जा चुकी थी उन्हें अंतिम रूप देने का आदेश दिया गया। 26 में 2025 को एक पत्र जारी किया गया जिसमें कहा गया की जो प्रक्रिया 5 3 2025 को निरस्त की गई थी उसके संबंध में एक कमेटी निर्धारित की गई।
23 जुलाई 2025 को एक पत्र पश्चिम मध्य रेल के dy सीपीओ द्वारा जारी कर यह कहा गया की बाकी लंबित चयन प्रक्रिया को भी जारी कर निर्णय लिया जावे। उक्त प्रक्रिया में भोपाल डिविजन के चीफ लोको इंस्पेक्टर करता ने याचिका दायर की एवं जबलपुर डिविजन के चीफ लोको स्पेक्टर की प्रक्रिया भी जारी रखने के निर्देश दिए गए।
याचिका करता का तर्क था की नई प्रक्रिया जारी करने के लिए 1 साल के बाद होना चाहिए एवं विशेष परिस्थितियों में भी कम से कम 6 माह का अंतराल होना चाहिए] परंतु यहां पर जो प्रथम अधिसूचना जारी हुई] वहां 28 11 24 को हुई थी एवं 6 महीने से कम अवधि में ही जारी कर दिया गया एवं नियम अनुसार 15 महीने में होने वाली युवतियों को भी ध्यान में रख रख कर विज्ञप्ति जारी की जानी चाहिए।
याचिका करता ने उक्त तथ्यों को आधार लेकर कैट में याचिका दायर की कैट ने इस आधार पर याचिका करता का नाम पात्र एवं अपात्र सूची में नहीं था इसलिए वह इस प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे सकता। उक्त आदेश 26 8.2025 को जारी किया गया था एवं याचिका पोषणीय है कि नहीं उसके लिए 3 सितंबर की तिथि निर्धारित की तब याचिका करता ने वरिष्ठता सूची 22.8.25 की दायर कर यह बताया कि उसका नाम वरिष्ठता सूची में है।
उसी सूची में पात्र एवं अपात्र लोगों की सूची में है, इसलिए उसे लिस्ट को चुनौती देने का अधिकार है कैट ने उक्त याचिका निरस्त कर दी। माननीय न्याय मूर्ति द्वय के समक्ष याचिका करता ने कैट के आदेश को चुनौती देते हुए यह तर्क दिया की कैट को उक्त याचिका का गुण दोष पर निराकरण करना था। याचिका करता की ओर से अजय रायजादा एवं अंजना श्रीवास्तव ने पैरवी की।