जबलपुर. कोविड काल में आपदा को अवसर में बदलते हुए एक व्यक्ति ने फर्जी डिग्री के माध्यम से डॉक्टर की नौकरी प्राप्त की. जिसका खुलासा होने के बाद फर्जी डॉक्टर को पद से हटा दिया. न्यायालय ने दायर परिवाद की सुनवाई करते हुए आवेदक को फर्जी डॉक्टर के खिलाफ दस्तावेज के साथ एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिये है.
कोविड काल में फर्जी डिग्री के माध्यम से डॉक्टर पद पर नियुक्ति होकर लोगों से जान से खिलवाड़ करने वाले आरोपी के खिलाफ अस्पताल प्रशासन ने कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की. इस संबंध में सेठ गोविंददास जिला चिकित्सालय विक्टोरिया पूरी तरह से बैकफुट में है. अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ नवनीत कोठारी का कहना है कि कोविड के समय भर्ती बोर्ड के अनुषंसा पर कथित डॉक्टर शुभम अवस्थी को सेवा में रखा गया था.
बोर्ड के पास ऐसा कोई मैकेनियम नहीं था,जिससे यह निर्धारित किया जा सकते कि डिग्री फर्जी है. आपदा के समय कथित डॉक्टर बोर्ड की आंख में धूल झोंकने में सफल हो गया था. षिकायत मिलने पर जांच के बाद उसे हटा दिया गया था. फर्जी डॉक्टर के कानूनी कार्यवाही नहीं किये जाने के संबंध में उनका कहना था कि उस समय वह सिविल सर्जन पद पर नहीं थे,इसलिए अधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कह सकते है. नोबल प्रोफेशन के साथ फर्जीवाड़ा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्यवाही होना चाहिए थी.
फर्जी डॉक्टर के साथ जिन डॉक्टरों ने कार्य किया उनका कहना है कि कोविड उपचार के लिए सरकार की तरफ से गाइडलाइन निर्धारित की गयी थी. इसके अलावा कोविड गाइडलाइन के अनुसार निर्धारित दूरी भी आवष्यक थी. फर्जी डॉक्टर सिर्फ वार्ड में बैठा रहता था और कार्यरत नर्स व वार्ड मजीरों को देखते थे और निर्धारित दवा देते थे. फर्जी डॉक्टर अपनी ड्यूटी के दौरान साथी कर्मचारियों से बहुत कम संपर्क रखता था. जिसके कारण उसकी कार्य विधि का साथी कर्मचारी आंकलन नहीं कर पाये.