जबलपुर. डिजिटल अरेस्ट कर लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के सदस्य की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने पाया कि ठगी के रुपये दुबई भेजे जाते थे. एकलपीठ ने अपराध को गंभीर प्रवृति का मानते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया.
केरल निवासी अब्दुल रहमान की तरफ से दायर की गयी जमानत याचिका में कहा गया था कि भोपाल क्राइम ब्रांच ने डिजिटल अरेस्ट कर एक व्यक्ति से लगभग 69 लाख रुपये की ठगी करने के आरोप में उसे 22 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया था,तभी से वह न्यायिक अभिरक्षा में है. प्रकरण में सह आरोपी बनाए गए दो आरोपियों को जमानत का लाभ मिल गया है. इसके अलावा क्राइम ब्रांच ने न्यायालय में आरोप पत्र भी प्रस्तुत कर दिया गया है.
जमानत आवेदन का विरोध करते हुए शासकीय अधिवक्ता सी एम तिवारी से बताया कि आरोपी अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का सदस्य है. एनसीआरपी पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार गिरोह ने 14 व्यक्तियों से 3 करोड़ 43 लाख रुपये से अधिक की ठगी करी है. वर्तमान मामले में शिकायतकर्ता को फोन कर उसकी आधार आईडी से 200 मिलीग्राम एमडीएमए ड्रग्स भेजने के नाम कर धमकाया गया और डिजिटल अरेस्ट कर उसे लगभग 69 लाख रुपये की गयी की गयी.
इसके अलावा दुबई निवासी सह अभियुक्त मोहम्मद शफी ने आवेदन के कहने पर अब्दुल नाम व्यक्ति के खाते में 14 लाख रुपये ट्रांसफर करवाए थे. आवेदन ने अब्दुल से उक्त रकम लेकर मोहम्मद रफी के द्वारा भेजे गये एजेंट को दी गयी थी. आवेदन अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का सदस्य है,जिसके तार अन्य प्रदेश के साथ दुबई से जुडे हुए है. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया.