जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने राज्य शासन से पूछा है कि जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट पर अपेक्षाकृत अधिक टैक्स क्यों लिया जा रहा है. सरकार एक सप्ताह में स्पष्ट करे कि क्या टैक्स घटाया जा सकता है. जनहित में इस सिलसिले में क्या गुंजाइश है, यह साफ किया जाये.
दरअसल यह मामला नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की जनहित याचिका से संबंधित है. जिसके जरिये जबलपुर से एयर कनेक्टिविटी घटने को लेकर चिंता जाहिर की गई है. नोटिस जारी होने के बाद विमानन कंपनियों ने अपने जवाब में कहा था कि अधिक टैक्स लिए जाने के कारण वे फ्लाइट संचालन में असमर्थ हैं. जनहित याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि जनहित याचिका की मूल मंशा जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट से एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के दिशा-निर्देश जारी करने की है.
इसी सिलसिले में पूर्व में हाईकोर्ट ने एयर इंडिया से जवाब मांगा था. जिसकी ओर से अधिवक्ता अल्हाद नरसिंह कुलकर्णी द्वारा प्रस्तुत जवाब में साफ किया जा चुका है कि विस्तृत सर्वे करने के बाद कंपनी जबलपुर से एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने में असमर्थ है. डुमना एयरपोर्ट में वर्तमान में जो चार्ज लगाया जाता है, वह अपेक्षाकृत अधिक है. यदि यहां से फ्लाइट सेवा प्रारंभ करने वाली कंपनियां इस चार्ज की अदायगी करेंगी तो मुनाफा कम नुकसान अधिक होगा. इसीलिए वे दूरी बना चुकी हैं. अंतत: इसका खामियाजा नागरिकों को उठाना पड़ रहा है.
जनहित याचिकाकर्ता के अनुसार जबलपुर में अन्य शहरों की तुलना में कम फ्लाइट हैं. पूर्व में जबलपुर से मुम्बई, पुणे, कोलकाता, बेंगलुरू आदि शहरों के लिए फ्लाइट संचालित होती थी. जबलपुर की एयर कनेक्टिविटी प्रदेश के इंदौर, ग्वालियर तथा भोपाल के सामान थी. फ्लाईट के लगातार बंद होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पूर्व में जबलपुर से औसतन 15 फ्लाइट संचालित होती थीं. वर्तमान में घटकर इनकी संख्या पांच हो गई है. इससे जबलपुर का विकास अवरुद्ध हो रहा है. याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान इंडिगो विमान कंपनी ने अपना जवाब पेश कर दिया था.
पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एयर इंडिया एक्सप्रेस को अनावेदक बनाते हुए नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा गया था. उक्त नोटिस के परिप्रेक्ष्य में कंपनी द्वारा पेश जवाब में कहा गया है कि उनके द्वारा देश के 45 हवाई अड्डों से उड़ानों का संचालन होता है. भारत के जिन 73 एयरपोट्स से उनकी कंपनी द्वारा उड़ाने नहीं भरती, उसमें जबलपुर भी शामिल है. विभिन्न एयरपोट्र्स से फ्लाईट्स का संचालन लाभ-हानि की दृष्टि से तय होता है.