जबलपुर, देशबन्धु. शहर में हॉस्पिटल के नाम पर गैलेक्सी हॉस्पिटल जैसी दुकानें कैसे फल फूल रही हैं यह सवाल आम लोगों के साथ अस्पताल प्रबंधन की कथित आपराधिक लापरवाही की वजह से 5 मरीजों की मौत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित शहर के अनेक जनप्रतिनिधियों द्वारा भी उठाई गई थी.
मामले में अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई के बजाए 25 लाख रुपए के चंदे पर भी सवाल उठाए गए लेकिन जिला प्रशासन और पुलिस मौन धारण करे बैठी रही. मामला न्यायालय पहुंचने के बाद भी सुर्खियों में रहा. जहां प्रदेश सरकार ने कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से प्रदेश में कहीं भी किसी मरीज की मौत नहीं हुई. आरोप लगाए जा रहे हैं कि सरकार न अपनी छवि बचाने अस्पताल में हुए कांड को भी ढक लिया.
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पूर्व मुख्यमंत्री ने जांच में देरी पर भी उठाया था सवाल-जबलपुर के उखरी रोड स्थित गैलेक्सी हॉस्पिटल में 5 मौतों के बाद कार्रवाई के बजाए तत्कालीन कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा रेडक्रॉस को 25 लाख रुपए का चंदा दिलाए जाने की चहुंओर निंदा हुई थी. यह भी आरोप लगे थे कि हॉस्पिटल में हुई 5 मौतों का सौदा 25 लाख रुपए में तय हुआ. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा भी सवाल उठाए गए थे.
जांच में हुई देरी पर उन्होंने घटना के कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया के माध्यम से इस मामले को उठाते हुए उन्होंने लिखा था कि जबलपुर के गैलेक्सी अस्पताल में 5 मरीज़ों की दुखद मौत के बाद 24 घंटे में जांच कर रिपोर्ट देने की बात कही गई थी, लेकिन 16 दिन बीत जाने के बाद भी आज तक जांच पूरी नहीं हुई है. यह एक गम्भीर लापरवाही है, मृतक के परिजन न्याय मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं? इस मामले में जब प्रशासन की किरकिरी होने लगी, तो 17वें दिन देर रात रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. तत्कालीन कलेक्टर कर्मवीर शर्मा पर सीधे आरोप लगे कि उन्होंने पांच मरीजों की मौत का सौदा 25 लाख रुपए में कर डाला.
पूछा था किस कारण लिया गया दान- गैलेक्सी हॉस्पिटल से रेडक्रॉस को 25 लाख रुपए के दान पर भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सवाल उठाया था. इस संबंध में किए गए ट्वीट में उन्होंने कहा था कि यह जानकारी भी सामने आई है कि अस्पताल ने रेड क्रॉस सोसायटी के माध्यम से 25 लाख रुपये का दान भी दिया है.
यह संस्था सीधे कलेक्टर के दायरे में आती है, ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि जिस अस्पताल के खिलाफ 5 लोगों की मौत की जांच चल रही है, उससे यह दान राशि किन परिस्थितियों में व किस कारण से ली गई? सवाल यह भी है कि जब जांच चल रही है उसी समय यह दान देना और लेना कितना पारदर्शी है कहीं यह दान के रूप में प्रशासन को दी गई रिश्वत तो नहीं?
जनप्रतिनिधियों ने भी उठाए थे सवाल- उस दौरान कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने जहां पुलिस एवं प्रशासन को घेरा था वहीं तब कांग्रेस नेता रहे वर्तमान महापौर जगत बहादुर अन्नू ने तो आरोप लगाए थे कि इस अस्पताल को बचाने के लिए अंदर खाने पैसों की डीलिंग हुई है. उन्होंने मामले को हाईकोर्ट तक ले जाने की बात कही थी. कांग्रेस नेता रामदास यादव ने आरोप कि बीजेपी राज्य में यही हो रहा है.
आम आदमी की जान से खेलो और कलेक्टर द्वारा संचालित रेडक्रॉस सोसाइटी में 25 लाख रुपए जमा करके बच जाओ. इधर जांच जारी थी उधर 25 लाख का चंदा-अस्पताल प्रबंधन द्वारा रेडक्रॉस को दिए गए 25 लाख रुपए को लेकर सवाल इस कारण भी उठे थे कि यह अस्पताल 22 अप्रैल 2021 को हुई घटना के महज चंद रोज पहले ही खुला था.
इससे पुराने और बड़े अस्पतालों ने भी 11 लाख रुपए से अधिक का सहयोग रेडक्रास को नहीं किया था. इस अस्पताल में आए दिन कोविड मरीजों का पैसों को लेकर प्रबंधन से विवाद होता रहता था. अस्पताल के खिलाफ प्रशासन की जांच जारी थी और बिना जांच रिपोर्ट आए अस्पताल संचालक से रेडक्रॉस के नाम पर 25 लाख की मदद लेना एक तरह से इसे क्लीन चिट देने जैसा था.