जबलपुर, देशबन्धु. अब खनिज विभाग समेत शासन के अन्य विभागों के नियम कायदों की बारीकियां समझने के लिये सरकारी अधिवक्ताओं की क्लास लगाई जा रही हैं. प्रदेश शासन और विधी विभाग के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से इस तरह की कवायद शुरू कर दी गई है. इसके पीछे का मकसद है ताकि जब भी किसी भी न्यायालय में विभाग का मामला आये तो उसमें शासन का पक्ष मजबूती से प्रस्तुत किया जा सके. इसमें जबलपुर ही नहीं बल्कि आस-पास के जिलों से आने वाले शासकीय अधिवक्ता शामिल हैं.
उल्लेखनीय है कि समय-समय पर शासन-प्रशासन इस तरह की कवायद करता रहा है जिसमें विभागों का ज्यादा से ज्यादा मामलों में पक्ष मजबूती से प्रस्तुत किया जा सके. इसमें शासन के कुछ चुनिंदा विभागों में इस तरह की कवायद की जा रही है. इस तरह की कोशिशों के बेहतर परिणाम आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
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विभाग के अधिकारी हो रहे शामिल- मिली जानकारी के अनुसार प्रमुख रूप से राजस्व, माइनिंग, कृषि, फुड, आबकारी, आयुष विभाग, परिवहन इत्यादि हैं, यहां के वे अधिकारी जो अपने-अपने विभागोंं के विधी के जानकार माने जाते हैं, उनके द्वारा शासकीय अधिवक्ताओं को विभाग के कानूनों की विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान कर रहे हैं.
इसके लिये हर दिन अलग-अलग विभागों में सरकारी अधिवक्ता दौरा कर रहे हैं. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि वे विभाग से जुड़ी धाराओं और अन्य जरूरी बातों को समझाते हैं. इससे जब भी विभाग का पक्ष न्यायालयों में रखने की आवश्यकता हो, तो उसमें आसानी हो सके. अभी हाल में नई पीढ़ी सरकारी अधिवक्ताओं की आई है,
उन्हें इस तरह की कार्यशालाओं का लाभ मिलेगा और विभाग के लिये यह
फायदेमंद हो सकता है. – गौरतलब है कि खनिज विभाग उन विभागों में शुमार है जहां पर अक्सर कार्रवाई के दौरान मैदानी अमले को जोखिम का सामना करना पड़ता है. रात के समय की जाने वाली छापामार कार्रवाई के चलते कई बार खनिज माफिया के गुर्गे जान लेवा हमला भी कर देते हैं. इसी को देखते हुये विगत में खनिज विभाग के तत्कालीन प्रमुख निकुंज श्रीवास्तव ने गहन मंथन के बाद गृह विभाग को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें एसएएफ से बल मुहैया करवाने की बात कही गई थी. इस प्रस्ताव को लेकर अब तक जिस तरह की स्वीकृती मिलने थी, वह नहीं मिल पाई है.
संवेदनशील जिलो में जबलपुर शामिल-जानकारी के अनुसार प्रदेश में जबलपुर भी खनिज माफिया की सक्रियता के चलते संवेदनशील माना जाता है. यह और बात है कि चंबल के मुकाबले महाकोशल में स्थिति निर्मित नहीं होती है. बावजूद यहां पर माफिया में खतरनाक तत्व हैं जिनसे बचने के लिये खनिज विभाग के मैदानी अमले को जरूरी सुरक्षा इंतजामतों को आवश्यकता है. इसी का ध्यान में रखते हुये सशस्त्र बल की मांग की जा रही है.
अभी पुलिस की मदद ली जा रही- बताया जाता है कि अभी खतरनाक जगह माने वाले स्थानों पर खनिज विभाग को छापा मारने से पहले से संबंधित थाना को सूचित कर उनसे मदद की गुहार लगाई की जाती है. वैसे तो ज्यादातर बार बल मुहैया करा दिया जाता है, लेकिन कई बार किसी कारण के चलते पुलिस का बल नहीं बाबत मंजूरी नहीं मिल पा रही है. इस प्रस्ताव पर जरूरी हरी झंडी सरकार की नहीं मिल सकी है.